पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है और पत्रकार समाज का दर्पण होते हैं,कलम के सिपाही होते हैं. ये सारी बातें अब बस मुहावरे बनकर रह गईं हैं. जहां आए दिन पत्रकारों के साथ मारपीट और अभद्रता के मामले सामने आता हैं. ताजा मामला जिला गोंडा का है. जहां गोण्डा पुलिस ने एक पत्रकार को जबरन थाने में बैठाया और उसकी पिटाई की. पुलिस की करतूत को उजागर करने के कारण इस पत्रकार पर FIR दर्ज कर उसे पकड़ा व पीटा गया.
बताया जा रहा है कि थाने में चल रही दारु पार्टी का वीडियो ट्वीट करने पर इस पत्रकार को ये सजा मिली है. पुलिसकर्मियों ने देर रात गोण्डा के पत्रकार दुर्गा सिंह पटेल पर FIR लिखी और उन्हें उठा लिया. थाने में दारु पार्टी और खनन की खबर चलने से बौखलाई छपिया पुलिस ने की एकतरफ़ा कार्यवाई की.
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पुलिस का काम होता है अपराध और अपराधी के खिलाफ कार्रवाई करना, न कि सच को उजागर करने वालों के साथ ही गुंडागर्दी करना.लेकिन गोण्डा में छपिया पुलिस की करतूत उजागर करने पर बौखलाये पुलिसकर्मियों ने पत्रकार पर ही सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए झूठी FIR लिखी और उसे बेरहमी से पीटा. गोण्डा पुलिस ने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ तो कार्रवाई की नहीं बल्कि उल्टा पत्रकार को ही झूठे आरोपों में फंसा दिया और उसे प्रताड़ित किया.