लाठी, बंदूकें और तलवारें देखकर भी क्यों बंधे रहे पुलिस के हाथ, जानिए ‘वारिस पंजाब दे’ से जुड़ा पूरा मामला

दो दिनों से पंजाब का सीख संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ चर्चा में है। संगठन का मुखिया अमृतपाल सिंह अपने एक साथी की जेल से रिहाई की मांग को लेकर अपने समर्थकों के साथ गुरुवार को अमृतसर के अजनाला पुलिस थाने में जमकर हंगामा किया। समर्थक पुलिस के सामने बंदूकें और तलवारें लहराते नजर आए। पुलिस थाने में घुसकर हंगामा काटा और पुलिस खड़ी तमाशा देखती रही। घंटे भर पुलिस जवानों के साथ धक्का-मुक्की हुई और धमकी तक दी गई। इस हंगामे के बाद यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या पंजाब में नया जरनैल सिंह भिंडरावाला पैदा हो गया है? वहीं, पुलिस के रवैये पर भी सवाल खड़े हुए हैं।

ये सभी पूरी तरह हथियारों से लैस थे। इनके हाथ में लाठी, बंदूकें और तलवारें थीं। इन्होंने पुलिस के बैरिकेड्स भी तोड़ दिए गए और फिर जबरन पुलिस स्टेशन के अंदर घुस गए। ये सभी अपने एक साथी लवप्रीत तूफान की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे थे जिसे पुलिस ने एक किडनैपिंग केस में अरेस्ट किया था। करीब आधे घंटे तक पुलिस और भीड़ के बीच झड़प होती रही और पुलिस को धमकी भी दी गई। नतीजा यह हुआ कि पुलिस आरोपी की रिहाई पर तैयार हो गई।

इस प्रदर्शन ने पुलिस के रवैये पर भी सवाल खड़े किए हैं। बुधवार को इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज किया था। इसके बाद ही अमृतपाल ने अपने समर्थकों से अजनाला पहुंचने की अपील कर दी थी। मतलब पुलिस को थाने के घेराव की जानकारी पहले से थी। हाई अलर्ट पर भी थी तो फिर ऐसा क्या हुआ कि पुलिस को लाठीचार्ज करने की इजाजत नहीं मिली। सूत्रों का मानना है कि ऊपर से लाठीचार्ज की इजाजत नहीं मिलने की वजह से पुलिस हमलावरों को काबू नहीं कर सकी।

कौन है अमृतपाल सिंह?

अमृतपाल सिंह, अमृतसर जिले के जल्लूपुर खेड़ा गांव का रहने वाला है। वह 2012 में काम के सिलसिले में दुबई गया था और वहां से हाल ही में भारत वापसी की थी। अब वह खालिस्तानी समर्थक दीप सिद्धू के संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ का प्रमुख है। दीप सिद्धू की हाल ही में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। किसान आंदोलन के दौरान लालकिले पर हुई हिंसा में वह भी आरोपी था। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, खालिस्तान मूवमेंट को चलाने वाले जरनैल सिंह भिंडरांवाले का समर्थक है। स्वघोषित खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह अलग सिख राज्य की मांग करता है और उसको लेकर भड़कीले बयान भी देता है।

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वारिस पंजाब दे क्या है?

सबसे पहले जानते हैं वारिस पंजाब दे संगठन के बारे में। पंजाबी अभिनेता और कार्यकर्ता दीप सिद्धू ने सितंबर 2021 में ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन की स्थापना की थी। इसका मकसद बताया गया- युवाओं को सिख पंथ के रास्ते पर लाना और पंजाब को ‘जगाना’। इस संगठन के एक मकसद पर विवाद भी है वह है- पंजाब की ‘आजादी’ के लिए लड़ाई।

दीप सिद्धू 26 जनवरी 2021 को लालकिले पर खालसा पंथ का झंडा फहराने को लेकर सुर्खियों में आए थे। 15 फरवरी 2022 को एक सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई। दीप सिद्धू की मौत के बाद संगठन के प्रमुख का पद खाली था। सितंबर 2022 में अमृतपाल सिंह ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख बने। यह कमान उसे खालिस्तानी विद्रोही जनरैल सिंह भिंडरावाले के गांव रोडे में सौंपी गई थी।