वाराणसी । श्रावण मास का पहला दिन शुक्रवार को शुरू हुआ और काशी विश्वनाथ मंदिर में इसका स्वागत एक विशेष और अद्भुत तरीके से किया गया। सुबह-सुबह मंगला आरती से मंदिर परिसर गूंज उठा और श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता था।
इस बार मंदिर प्रशासन ने परंपराओं को और भी सुंदर बनाने के लिए एक नया तरीका अपनाया, जिसकी शुरुआत वाराणसी के मंडलायुक्त श्री एस. राजलिंगम ने की।
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— Shri Kashi Vishwanath Temple Trust (@ShriVishwanath) July 10, 2025
मंदिर के तीन प्रमुख शिखरों (भगवान विश्वनाथ, भगवान दंडपाणि और भगवान वैकुण्ठेश्वर) के सामने श्रद्धालुओं पर फूलों की वर्षा की गई। इससे भक्तों का मन भाव-विभोर हो उठा। इसके बाद भक्तों को मुख्य मंदिर से होकर भगवान बद्रीनारायण के मंदिर तक ले जाया गया। यह यात्रा वैष्णव (भगवान विष्णु) और शैव (भगवान शिव) परंपरा के मेल का प्रतीक थी।अंत में माता अन्नपूर्णा को तीन विशेष पुष्प थाल अर्पित किए गए। इन थालों के फूलों को भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जा रहा है – एक सुंदर स्मृति के रूप में।
आज श्री काशी विश्वनाथ जी की सप्तऋषि आरती I#kashivishwanath #kashi #sanatandharma #banaras pic.twitter.com/MjuBfrjwWt
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शुक्रवार को मातृ शक्ति की पूजा विशेष मानी जाती है, इसलिए यह आयोजन माता अन्नपूर्णा की अर्चना के साथ पूरा हुआ। इस पूरे आयोजन में त्रिशक्ति (शक्ति, शिव और विष्णु), त्रिदेव और त्रैगुण्य जैसे तत्वों को प्रतीक रूप में शामिल किया गया – जैसे शिव का त्रिशूल, त्रिपुण्ड और बेलपत्र।
इस विशेष आयोजन में कई अधिकारी और श्रद्धालु शामिल हुए, जिनमें श्री एस. राजलिंगम (मंडलायुक्त), श्री विश्व भूषण (मुख्य कार्यपालक अधिकारी), श्री शम्भू शरण (डिप्टी कलेक्टर) और श्री मिनी एल शेखर (तहसीलदार) प्रमुख थे।
मंदिर प्रशासन ने यह तय किया है कि काशी की प्राचीन परंपराओं को आज की संवेदनाओं के साथ जोड़ते हुए, उसकी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक गरिमा को और भी बढ़ाया जाएगा।