वाराणसी । प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की पहल से भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार की दिशा में आज एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया। इस पहल का उद्देश्य वेद, उपनिषद, पुराण, शास्त्र आदि जैसे प्राचीन ग्रंथों का डिजिटलीकरण कर उन्हें जनसामान्य तक पहुंचाना है। यह बातें काशी नगरी में “शास्त्र संग्रहालय एवं अनुसंधान केंद्र” का भव्य शुभारंभ करते हुए महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कही।
शिंदे ने वाराणसी के दुर्गाकुंड स्थित धर्मसंघ सभागार में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि इस केंद्र का उद्देश्य भारत की प्राचीन ग्रंथ संपदा का संरक्षण, डिजिटलीकरण और आधुनिक तकनीक की सहायता से समाज तक उसका प्रसार करना है। पुरातन पांडुलिपियों के संरक्षण का कार्य सिर्फ एक संस्थान का नहीं, बल्कि पूरे देश की भागीदारी का प्रतीक है। सरकार और समाज के सामूहिक प्रयास से ही भारत को विश्व गुरु बनाने का सपना साकार हो सकेगा।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री शिंदे ने अपने संबोधन के दौरान बाबा विश्वनाथ और मां गंगा को नमन करते हुए कहा कि इस पावन नगरी में आने का अवसर मिलना किसी सौभाग्य से कम नहीं। इस कार्यक्रम के जरिये खुद को प्राचीन ज्ञान परंपरा से जुड़ा महसूस करता हूं। उन्होंने कहा कि धर्म संघ का यह संस्थान सिर्फ एक मंदिर नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक है। यह सनातन संस्कृति और जीवन शैली का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हमें विकास और विरासत का संदेश दिया है। पुरातन ग्रंथों को डिजिटाइज़ करने के कार्य के लिए प्रोत्साहित करने का कार्य पीएम मोदी की योजना का ही प्रमाण है। उन्होंने कहा कि हमारा देश शस्त्र के साथ शास्त्र सम्पदा के साथ विश्व गुरु बनाने की दिशा में पुनः अग्रसर होगा। इसके लिए सरकार और समाज को कंधे से कंधा मिलकर चलना है। हिन्दू सिर्फ एक धर्म नहीं सर्व समावेशी समाज का निर्माण का आधार है।
शिंदे ने कहा कि आज शुभारंभ के दिन विशेष पर यह बात रेखांकित होती है कि यह पहल केवल शास्त्रों के अध्ययन तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत को पुनः ज्ञान का वैश्विक केंद्र ‘विश्वगुरु’ बनाने की दिशा में एक ठोस और व्यापक प्रयास है। जैसे एक ओर भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का शुभ समय आरंभ हुआ है, वैसे ही यह ज्ञान यात्रा भी काशी से शुरू हो रही है।
शास्त्र संग्रहालय एवं अनुसंधान केंद्र के संस्थापक सनातनी रामानंद तिवारी ने विषय की संकल्पना रखी। उन्होंने कहा कि शाश्वत ही सनातन है और सनातन ही शाश्वत है। आज सबसे प्रमुख विषय खुद को जानना है। यह तभी संभव है जब हम शास्त्रों से खुद को जोड़ पाएंगे। उत्तर प्रदेश के आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र “दयालु” ने कहा कि शास्त्र के लिए संग्रहालय का शुभारम्भ आने वाले दिनों में लोगों को अपने ग्रंथों के प्रति आकर्षित करने का काम करेगा। वहीं, शास्त्र संग्रहालय एवं अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष भुजंग बोबडे ने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा कि काशी क्षेत्र ज्ञान आचमन का प्रमुख केंद्र है। यहां से पुरातन ग्रंथों के संरक्षण और प्रचार-प्रसार का केंद्र खुलना अपने आप में काफी महत्वपूर्ण है।
इस शुभारंभ के अवसर पर देशभर से विद्वान, संन्यासी, शोधकर्ता और संस्कृत प्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंतिम चरण में सभागार में प्रदर्शनी का उद्घाटन एकनाथ शिंदे ने किया।