चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस का सीएम फेस कौन होगा, इस पर पार्टी प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू ने स्पष्ट कहा कि सीएम के बारे में हाईकमान नहीं पंजाब के लोग तय करेंगे। हम पंजाब माडल लेकर आए हैं। इसी माडल के आधार पर लोग विधायकों को चुने जाएंगे। चंडीगढ़ प्रेस क्लब में मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए सिद्धू ने कहा कि अगले पांच वर्ष पंजाब माडल पर सरकार चलेगी। कहा कि मेरा भविष्य भी पंजाब माडल पर टिका है। सिद्धू ने मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी का नाम लिए बगैर उन पर हमला भी किया। उन्होंने कहा कि रेत के रेट कम हुए, केबल की कीमत कम हुई। कहा नहीं हुई।
यह पूछे जाने पर कि पंजाब माडल में भूजल, पानी व पर्यावरण को बचाने के लिए क्या माडल है। इस पर सिद्धू ने कहा कि पानी सबसे बड़ा खजाना है। अगला वर्ल्ड वार इसी पर होगा। इन मुद्दों पर उनके पंजाब माडल में पूरी चर्चा होगी। इस पर हम बाबा नानक के फलसफे पर चलेंगे। मुफ्त के लालीपाप क्या पंजाब माडल में बंद होंगे। इस पर सिद्धू ने कहा कि सब्सिडी जरूरी हैं, लेकिन जरूरतमंदों के लिए। पंजाब में हम इंडस्ट्री को सस्ती बिजली दे रहे हैं। किसानों को मुफ्त बिजली दिल्ली की तुलना में किसानों को मुफ्त बिजली मिल रही है।
पंजाब माडल पर चर्चा करते हुए नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि इसको लेकर उनकी पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी से बात हो गई है। इसे पार्टी के घोषणा पत्र में भी शामिल किया जाएगा। सिद्धू के पंजाब माडल में लीकर कार्पोरेशन बनाना, माइनिंग कारपोरेशन, केबल रेगुलेटर कमीशन, ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन बनाना शामिल होगा।
सिद्धू अपने पंजाब माडल को लेकर खासे सक्रिय हैं। दो दिन पूर्व भी मीडिया से बातचीत करते हुए सिद्धू ने महिला सशक्तीकरण, शहरी रोजगार गारंटी, शराब कारोबार में चोरी रोकने और केबल कारोबार में प्रतियोगिता पैदा कर वर्चस्व तोड़ने जैसे मुद्दों को दोहराते हुए कहा कि इस बार के चुनाव में शिगूफेबाजी और जुगाड़ तंत्र नहीं चलेगा। कांग्रेस गवर्नेंस रिफार्म की बात करेगी। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक के बाद से गरमाए मुद्दे को लेकर सिद्धू ने कहा कि पांच दिन से पंजाब के असली मुद्दे गायब हो गए हैं।
सिद्धू ने कहा कि माफिया अब भी काम कर रहा है। 25 साल से सिस्टम भ्रष्ट हो गया है। विधायक को नहीं पता कि कौन सा कानून कल आने वाला है। पार्षद यह नहीं जानते कि जो टेंडर लगा है वह किसने तैयार किया है, विधायक थानेदार और एसएसपी पर आश्रित हो गए है। 12500 पंचायतों को पंचायत सचिव चला रहे हैं। इस सारे तंत्र को तोड़ना ही पड़ेगा।