मृत्युंजय दीक्षित जिससे स्वतंत्रा का मूल मंत्र, “वंदेमातरम” उद्भासित हुआ, जिसे गाते हुए हज़ारों की संख्या क्रांतिकारी फांसी के फंदे पर झूल गए, जीवन जेलों की क्रूर यातनाओं में काट दिया, जिस गीत ने माँ भारती के प्रति प्रेम और समर्पण को परिभाषित किया, जिस गीत ने स्वाधीनता की अलख …
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