अमेठी में सपा विधायक से मिलने पहुंचीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, लगने लगे ये कयास

2024 के लोकसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू होते ही भाजपा ने अमेठी में समाजवादी पार्टी के नेताओं को लुभाना शुरू कर दिया है, जहां से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी फिर से चुनाव लड़ेंगी. स्मृति ईरानी हाल ही में गौरीगंज विधानसभा सीट से सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह के घर उनके नवविवाहित भतीजे और बहू को आशीर्वाद देने पहुंचीं. गौरतलब है कि ईरानी आमतौर पर विपक्षी नेताओं के साथ तालमेल बनाने के लिए नहीं जानी जाती हैं. राकेश हाल ही में रामचरितमानस पर अपनी टिप्पणी के लिए सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की आलोचना करने के लिए चर्चा में रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि एक हफ्ते पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव राकेश प्रताप सिंह के आवास पर गए थे. उन्होंने संकेत दिया था कि उनकी पार्टी अमेठी से उम्मीदवार खड़ा करेगी, जिसे सपा ने अतीत में गांधी परिवार और कांग्रेस के लिए छोड़ दिया था.

अमेठी भी इन खबरों से गुलजार है कि राकेश प्रताप सिंह स्मृति ईरानी के खिलाफ अमेठी से सपा के संभावित उम्मीदवार हो सकते हैं.

इससे पहले जनवरी में जेल में बंद पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रजापति की पत्नी व सपा से अमेठी विधायक महाराजी प्रजापति, स्मृति ईरानी द्वारा अमेठी में उनके आवास पर आयोजित ‘खिचड़ी भोज’ में देखी गई थीं. अमेठी में भाजपा प्रवक्ता ने कहा था कि ईरानी ने महाराजजी प्रजापति को आमंत्रित किया था और राकेश प्रताप सिंह के आवास पर गईं थीं क्योंकि वह निर्वाचन क्षेत्र से सांसद थीं और वे दोनों उनके निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं. उन्होंने जोर देकर कहा, यह एक शिष्टाचार मुलाकात थी. हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि शिष्टाचार में भी राजनीति छिपी थी.

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अखिलेश का आरोप, बीएसपी के उम्मीदवारों का भाजपा करती है चयन

समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि सपा प्रत्याशियों की जीत को रोकने के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवारों को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यालय में फाइनल किया जाता है. सपा नेता ने कहा, बसपा बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर और उसके संस्थापक कांशीराम के रास्ते से भटक गई है.बसपा ने भाजपा के साथ सांठगांठ की है और उसकी बी-टीम के रूप में काम करती है.पिछले विधानसभा चुनावों में, भाजपा कार्यालय ने बसपा के उम्मीदवारों को अंतिम रूप दिया. बसपा के उम्मीदवार जीत के लिए नहीं, बल्कि सपा के उम्मीदवारों को जीतने से रोकने के लिए मैदान में उतारे गए थे. सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग की ओर से सभी छापेमारी राजनीतिक मंशा से विपक्षी नेताओं के यहां की जा रही है.