सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा के सुपरटेक एमरल्ड कोर्ट में चालीस मंज़िल के दो अवैध टावरों को गिराने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पहली बार इतनी बड़ी किसी बिल्डिंग को धराशाई किया जाएगा। कोर्ट ने इस बिल्डिंग को हटाने के लिए तीन महीने का समय दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डर को दिया झटका
इस मामले में अपना आदेश सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तीन महीने में निर्माण हटाया जाए। फ्लैट खरीददारों को दो महीने में 12 फीसदी सालाना ब्याज के साथ पैसे लौटाए जाएं। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा कि निर्माण गिराने का खर्च सुपरटेक वहन करेगा। इस अवैध निर्माण में बिल्डर और अधिकारियों की मिलीभगत है।
साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि इतने साल तक मुकदमा लड़ने के लिए एमरल्ड कोर्ट आरडब्ल्यूए के भी खर्च की भरपाई की जाए। बिल्डर उन्हें 1 महीने में 2 करोड़ रुपए दे।
आज सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि यह निर्माण अवैध हैं। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और एम आर शाह की बेंच ने कहा कि 2009 और 2012 में दोनों टावरों के निर्माण के लिए नोएडा ऑथोरिटी की तरफ से दी गई अनुमति नियम विरुद्ध थी। दोनों टावर को बनाते समय पहले से मौजूद इमारतों से दूरी का ख्याल नहीं रखा गया। अग्नि सुरक्षा नियमों का भी उल्लंघन हुआ।
यह भी पढ़ें: बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने की मुलायम से मुलाकात, अखिलेश ने ट्वीट कर किया बड़ा दावा
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों टावरों को अवैध घोषित कर गिराने के आदेश दिए थे, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी और टावर को सील करने के आदेश दिए थे।