बीते 14 मार्च को उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने केरल में मंत्रियों के लिए 2 वर्ष के लिए नियुक्त किए गय कर्मचारियों को आजीवन पेंशन देने के नियम पर राज्य सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि राज्य के पास बहुत पैसा है. लोग 2 वर्ष के लिए नियुक्त होते हैं और जीवनभर पेंशन पाते हैं. कोर्ट ने इस कड़ी टिप्पणी के साथ ही केरल रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन- केएसआरटीसी (Kerala State Road Transport Corporation- KSRTC) की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र (पीएसयू) की तेल कंपनियों द्वारा पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि को चुनौती दी गई थी.
इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति नजीर की पीठ कर रही थी. न्यायमूर्ति नजीर ने कहा कि उन्होंने इस घटना के बारे में एक अखबार में पढ़ा था. उन्होंने केएसआरटीसी की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता वी. गिरी से कहा, ‘जब आपका राज्य केवल 2 सालों के लिए लोगों को नियुक्त कर सकता है और उन्हें जीवन भर के लिए पेंशन दे सकता है और यदि ऐसा है तो राज्य ईंधन के लिए बहुत अच्छी तरह से भुगतान कर सकता है.’
‘सरकार तक हमारी बात पहुंचाएं…’
दरअसल इस मामले में केएसआरटीसी ने ईंधन की उच्च कीमतों, विशेष तौर पर डीजल की कीमतों को चुनौती देते हुए दावा किया कि इससे सार्वजनिक परिवहन पर असर पड़ेगा. इसी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की. न्यायमूर्ति नजीर ने वी. गिरी से पूछा, ‘कम से कम 20 कर्मचारियों को 2 सालों के लिए मंत्रियों के लिए नियुक्त किया जाता है और उन्हें पूरे जीवन काल के लिए पेंशन मिलती है. आप हमें बताएं कि ऐसा क्यों?’ साथ ही सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति नजीर ने वी. गिरी से यह भी कहा कि आप हमारी बात को अपने सरकार तक पहुंचाएं.
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‘5 मिनट में पहुंच जाएगा सरकार की कानों तक’
न्यायमूर्ति नजीर के कथन पर श्री गिरी ने कहा कि मीडिया अगले 5 मिनट में अदालत की टिप्पणियों को फ्लैश करेगा और यह राज्य सरकार के कानों तक पहुंच जाएगा. इस मामले में श्री गिरी ने केएसआरटीसी की याचिका को वापस लेने के विकल्प को चुना.