पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद हुई हिंसा के दर्द से उठ रही कराह अभी भी सुनाई दे रही है। अब यही कराह बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कि कुर्सी के लिए ख़तरा बनती जा रही है। दरअसल, बंगाल हिंसा का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के दर पर पहुंच चुका है। इस मामले के खिला सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है, जिसमें ममता सरकार को हटाने की मांग हुई है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई एक और याचिका
वकील घनश्याम उपाध्याय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। इस याचिका में उन्होंने मांग की है कि देश का सबसे बड़ा न्याय का मंदिर केंद्र सरकार को निर्देश जारी करे कि बंगाल में अनुच्छेद-356 का इस्तेमाल हो और वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जाए।
याचिकाकर्ता ने मांग की है कि बीजेपी के सपोर्टरों की हत्या के मामले की एसआईटी से जांच कराई जाए। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा गया है कि अदालत पश्चिम बंगाल के गवर्नर को निर्देश जारी कर कहें कि वह पश्चिम बंगाल के कानून व्यवस्था की स्थिति पर रिपोर्ट पेश करें। याची ने कहा है कि राज्य में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गई है और राज्य में संवैधानिक मशीनरी बिल्कुल फेल हो चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में ये भी कहा गया है कि मीडिया और न्यूजपेपर की जो रिपोर्ट्स हैं उससे ये बात पब्लिक डोमेन में है कि 16 बीजेपी कार्यकर्ताओं या फिर बीजेपी से सहानुभूति रखने वाले लोगों की हत्या की गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि ये हत्याएं बंगाल कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के लोगों द्वारा की गई है। 2021 के विधानसभा चुनाव में जिन्होंने बीजेपी को वोट दिया है उनकी सुरक्षा को नजरअंदाज कर दिया गया है। राजनीतिक पार्टी का इस तरह से जो रवैया है वह तानाशाही वाला रवैया है।
सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि वह केंद्र सराकर को निर्देश जारी करे कि वह अपनी ड्यूटी पूरा करे और अनुच्छेद-356 का इस्तेमाल किया जाए और राष्ट्रपति को पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की सलाह दें।
आपको बता दें कि बंगाल हिंसा को लेकर इसके पहले भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की जा चुकी है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार से जवाब भी तलब किया है।
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उस याचिका में कहा गया था कि बीजेपी कार्यकर्ता अभिजीत सरकार और हरेन अधिकारी की कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी। पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद जैसे ही चुनाव परिणाम आया उसके बाद ये हिंसा भड़की थी। याचिकाकर्ता का आरोप है कि हत्या के बाद पुलिस ने लचर रवैया अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से उस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा था। इन आरोपों के साथ ही इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की गई है।