मौनी अमावस्या पर गुरुवार को जनपद में पवित्र नदियों और सरोवरों में हजारों श्रद्धालुओं ने मौन रखकर डुबकी लगायी। स्नान करने के सूर्य देव को जल अर्पित किया फिर मंदिरों में पूजा अर्चना की। स्नान और दान देने का दौर अभी भी जारी है।
सदर क्षेत्र के मेरापुर गांव के पास यमुना और बेतवा नदी के संगम पर मौनी अमावस्या पर स्नान करने वालों का तांता लगा जबकि जलालपुर, कुरारा, बेरी, सरीला क्षेत्र में भी पवित्र नदियों और सरोवरों में बड़ी संख्या में लोगों ने स्नान कर पूजा अर्चना की। स्नान और दान करने के बाद प्राचीन संगमेश्वर मंदिर, पतालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की। चौरादेवी मंदिर में भी मौनी अमावस्या पर पूजा अर्चना के लिये श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी, वहीं हजारों साल पुराने कल्पवृक्ष की पूजा कर महिलाओं ने फेर लगाये है।
यमुना पुल पार बिहारेश्वर बाबा मंदिर, गौरीशंकर मंदिर व मनेश्वर मंदिर में भी पूजा अर्चना की धूम मची है। सुबह से ही इन प्रसिद्ध मंदिरों में श्रद्धालुओं की लम्बी कतारें पूजा अर्चना के लिये लग गयी है। जिले के सुमेरपुर, मौदहा, कुरारा, राठ, मुस्करा, सरीला और गोहांड क्षेत्र में मौनी अमावस्या पर स्थानीय नदियों में स्नान करने के लिये भारी भीड़ उमड़ी।
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यहां के पंडित सुरेश कुमार मिश्रा व पंडित दिनेश दुबे ने बताया कि माघ मास की मौनी अमावस्या पर पवित्र नदियों के किनारे स्नान कर दान करने से बड़ा ही पुण्य मिलता है। नदियों और सरोवरों में स्नान मौन रखकर किया जाना चाहिये। बताया कि मौनी अमावस्या के बारे में पुराणों और ग्रन्थों में बड़ी ही वर्णन है। यदि घर से बिना बोले निकलकर कोई भी सरोवरों में स्नान कर दान करता है तो उसका ये लोक तो संवरता ही है साथ ही परलोक भी सुधर जाता है।