जम्मू स्थित इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के बेस पर ड्रोन अटैक ने वायुसेना समेत सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ाकर रख दी है। जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पाकिस्तान बॉर्डर से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर है। भारत में आतंकी हमले के लिए पहली बार ड्रोन का इस्तेमाल किया गया है और इस हमले से साफ हो गया है कि सेनाओं को अब नए तरह के युद्ध के लिए खुद को तैयार करना होगा। इस हमले के दौरान ही भारत की एक कंपनी देश का पहला ऐसा ड्रोन डिफेंस सिस्टम तैयार किया है जो दुश्मन की तरफ से आते अनमैन्ड एरियल व्हीकल, हथियारों और इस तरह के कई खतरों को फेल कर सकेगा।

8 साल की मेहनत के बाद हुआ तैयार
इस ड्रोन डिफेंस सिस्टम का नाम है ‘इंद्रजाल’ और इस ग्रीन रोबोटिक्स की तरफ से तैयार किया गया है। यह देश का पहला स्वदेशी ड्रोन डिफेंस सिस्टम है। यह ड्रोन डिफेंस 1000 से 2000 स्क्वॉयर किलोमीटर तक मौजूद खतरों को नाकाम करता है। ग्रीन रोबोटिक्स ने 8 साल की कड़ी मेहनत के बाद इसे तैयार किया है। ग्रीन रोबोटिक्स के सलाहकार बोर्ड में शामिल रिटायर्ड रक्षा वैज्ञानिक, उप सेना प्रमुख, बीईएल के डायरेक्टर और वायुसेना के रिटायर्ड ऑफिसर्स ने इसे तैयार करने में काफी मदद की है।
हर मौसम में काम करेगा सिस्टम
इंद्रजाल ड्रोन डिफेंस सिस्टम को मॉर्डन वॉरफेयर की कड़ी में तीसरी क्रांति के तौर पर देखा जा रहा है। इसे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर आधारित टेक्नोलॉजी के साथ तैयार किया गया है। इसके अलावा साइबर सिक्योरिटी और रोबोटिक्स जो रीयल टाइम के बेस पर खतरे को भांप सकती हैं और उसके आधार पर तुरंत एक्शन ले सकती हैं, उसका प्रयोग भी किया गया है। खतरा चाहे एक यूएवी हो या फिर कई यूएवी का एक साथ हमला करना हो, इंद्रजाल हर खतरे को फेल कर सकता है। इंद्रजाल जो काम कर सकता है वो कुछ इस तरह से हैं-

स्थिति का रीयल टाइम पर अंदाजा लगाना।
हर वर्तमान हथियार के साथ इंटीग्रेट होना और उसके मुताबिक एक्शन लेना।
इंद्रजाल एक्टिव होते ही एक जालनुमा नेटवर्क तैयार कर लेता है।
ये सिस्टम पूरे साल हर मौसम में खतरे पर नजर रख सकता है, उसे ट्रैक कर सकता है और एक्शन लेने में सक्षम है।
ग्रीन रोबोटिक्स के सीईओ डिफेंस विंग कमांडर (रिटायर्ड) एमवीएन साई ने कहा कि पारंपरिक हथियार यूएवी के झुंड के खिलाफ कोई एक्शन नहीं ले सकते हैं। मगर इंद्रजाल हर खतरे कोएक ढाल की तरह मजबूती से फेल कर सकता है।
क्यों जरूरी है ड्रोन डिफेंस सिस्टम
जम्मू में हुए आतंकी हमले के बाद देश का एक ऐसे सिस्टम की जरूरत है जो दुश्मन की तरफ से आने वाले खतरे को फेल करे। साथ ही साथ एक ऐसा सिस्टम भी अब चाहिए जो सेनाओं को मॉर्डन वॉरफेयर के लिए भी तैयार कर सके। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और रोबोटिक्स वाले आज के दौर में युद्ध को सिर्फ हथियारों और कमांड बेस्ड डिफेंस सिस्टम से नहीं लड़ा जा सकता है। जम्मू स्थित एयरफोर्स स्टेशन पर 27 जून को जो हमला हुआ उसमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और रोबोटिक्स का ही प्रयोग किया गया है।
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एमआई-17 हेलीकॉप्टर हैंगर के करीब ही आतंकियों ने ड्रोन की मदद से विस्फोटक गिराए थे। इस हमले से साफ है कि आज दुनियाभर में आतंकियों के पास भी यूएवी जैसी मॉर्डन टेक्नोलॉजी मौजूद हैं। चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) ने भी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जैस ड्रोन को भारतीय सेना पर नजर रखने के लिए तैनात कर रखा है।
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