बॉर्डर के आसपास अभेद्य किला बना रहा भारत, अब चीन को ऐसे देगा मुंहतोड़ जवाब

चीन की चाल को मुंह तोड़ जवाब देने के लिए भारत का फुल प्रूफ प्लान तैयार हो रहा है. पहाड़ों को चीर कर वर्ल्ड क्लास इंफ्रास्रुक्चर तैयार किया जा रहा है. उत्तराखंड में देश भर के श्रद्धालुओं के लिए चारधाम यात्रा को और सुगम बनाया जा रहा है. पहाड़ों के बीच से गुजरती ट्रेनें खतरों से दूर अब जल्द चारधाम यात्रा करवाएंगी. केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमनोत्री जाना बहुत आसान होगा. वहीं, भारत पहाड़ों के बीच अभेद्य किला तैयार कर रहा है, जिससे चीन को मात दी जाएगी.

जी हां, चीन के सैनिकों को भारत के सैनिक न सिर्फ बॉर्डर पर धूल चटा रहे हैं, बल्कि पहाड़ों में मात देने की तैयारी कर रहा है. रेलवे ने उत्तराखंड के पहाड़ों के बीच वर्ल्ड क्लास रेलवे लाइन का जाल बिछाना शुरू कर दिया है. इसी में भारत की सबसे बड़ी रेल टनल का निर्माण भी किया जा रहा है. ऋषिकेश से उत्तराखंड के कर्णप्रयाग के बीच रेलवे 125 किलोमीटर का रेल ट्रैक बिछा रहा है, जिसमें 17 रेलवे टनल और 18 मेजर रेल ब्रिज, 34 माइनर रेल ब्रिज और आरओबी शामिल हैं.

उत्तराखंड के बॉर्डर इलाकों या हिमालय रिजन पर चीन की हमेशा से नजर रहती है. दुर्गम पहाड़ियां जिसकी सुरक्षा हमारे जवान 24 घंटे 365 दिन करते हैं, क्योंकि उत्तराखंड से चीन का करीब 345 किलोमीटर लंबा बॉर्डर इलाका है, जिस पर चीन आए दिन अपनी निगाहें गड़ाये रहता है. यही वजह है कि चीन को खदेड़ा के लिए न सिर्फ आल वेदर रोड बल्कि रेलवे बॉर्डर इलाकों तक पटरियों का जाल बिछा रहा है.

योग नगरी ऋषिकेश का ये रेलवे स्टेशन चारधाम यात्रियों के लिए तो बेहतर है ही साथ में सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. योग नगरी ऋषिकेश स्टेशन के स्टेशन मैनेजर जी एस परिहार भी मानते हैं कि अगर कभी चीन से मुकाबला हुआ तो इस स्टेशन से हमारे ट्रुप्स और मिलिट्री साजों सामान को मूवमेंट करना आसान होगा.

ऋषिकेश कर्णप्रयाग के 125 किलोमीटर रुट के बीच करीब 12 रेलवे स्टेशन बनाए जा रहे हैं, जिनमें उत्तराखंड योग नगरी ऋषिकेश तैयार है वहीं शिवपुरी, व्यासी, देवप्रयाग, जनासू, मलेथा, श्रीनगर (चौरास), धारी देवी, रुद्रप्रयाग (सुमेरपुर), घोलतीर, गौचर और कर्णप्रयाग (सेवई) भी बनाए जा रहे हैं. सिर्फ स्टेशन का जाल ही नहीं बल्कि ओवरब्रिज भी तैयार हो रहे हैं. चंद्रभागा नदी के ऊपर रेलवे ट्रैक से करीब 18 बड़े रेलवे ब्रिज उत्तराखंड के ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के बीच बनाए जा रहे हैं, जिनमें 34 माइनर रेल ब्रिज भी शामिल हैं. इन्हीं ब्रिज से होकर 120km प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें गुजरेंगी. 

उत्तराखंड रेलवे प्रोजेक्ट में सबसे बड़ी चुनौती है टनल का निर्माण कार्य, जो इन दुर्गम पहाड़ियों में तैयार कर पाना सच में इंजीनीरिंग की मिसाल मानी जा रही है. न्यूज नेशन पहाड़ी रास्तों से होता हुआ देवप्रयाग पहुंचा जहां देश की सबसे बड़ी रेलवे टनल तैयार की जा रही है, ये है टनल 8, जिसे ऋषिकेश कर्णप्रयाग की सबसे महत्वपूर्ण टनल का खिताब हासिल है.

इस टनल को बनाने में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. वजह यहां के दरकते और चिकने पहाड़ जहां सबसे ज़्यादा लैंडस्लाइड होती है. लेकिन देश की सबसे बड़ी रेल टनल को बनाने के लिए T8 टनल पर 24 घंटे 365 दिन लगातार काम हो रहा है, जिसमें वर्ल्ड क्लास टनल मशीन TBM यानी टनल बोरिंग मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है, इसको शिव और शक्ति नाम दिया गया है.

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टनल मशीन में लगा है ये चक्र जिसे सुदर्शन चक्र भी कहा जाता है जो रोज़ाना 12 मीटर टनल में खुदाई कर सकता है. ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के बीच 125 km लंबी रेलवे ब्रॉडगेज लाइन कई जगहों पर बिछा दी गई है. ऐसे में अगर आपको केदारनाथ जाना है तो ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक ट्रेन का सफर भी इस प्रोजेक्ट के तैयार होने के बाद शुरू हो जाएगा.

कर्णप्रयाग से केदारनाथ की दूरी सिर्फ 99 किलोमीटर ही रह जाती है तो वहीं कर्णप्रयाग रेलवे स्टेशन से पहले रुद्रप्रयाग रेलवे स्टेशन पड़ेगा, जहां से उतर कर बद्रीनाथ जाया जा सकता है, जिसकी दूरी सिर्फ  158 किलोमीटर रह जाती है. यही नहीं यमनोत्री और गंगोत्री के लिए भी कर्णप्रयाग रेलवे स्टेशन से दूरी सिर्फ 70 से 80 km ही रह जाएगी. यही वजह है कि इस प्रोजेक्ट को उत्तराखंड चारधाम यात्रा करने वालों के लिए काफी अहम माना जा रहा है.

उत्तराखंड का रेलवे प्रोजेक्ट सामरिक दृष्टि से भी बहुत बेहतर माना जा रहा है, क्योंकि दूसरे फेज़ में कर्णप्रयाग से जोशीमठ तक रेलवे लाइन बिछाने का प्लान बन चुका है, जिसके बाद चीन बॉर्डर की दूरी सिर्फ 50 किलोमीटर तक रह जाएगी, जिससे भविष्य में हमारे भारतीय सेना के जवानों और हथियारों का मूवमेंट बॉर्डर इलाकों तक बहुत आसान हो जाएगा.