ग्रीन पटाखों को जला कर मनाये इको फ्रेंडली दिवाली, जाने क्या है खास

ग्रीन पटाखे (Green Crackers) पारम्परिक पटाखों की तुलना में कम हानिकारण माने जाते हैं। इनमें विषैली गैसें कम निकलती हैं। ग्रीन पटाखों में बेरियम का इस्तेमाल नहीं होता है और यह एक ऐसा विषाक्त पदार्थ है जो मृत्यु का कारण भी बन सकता है।

दिवाली का त्योहार जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे पटाखों से होने वाले प्रदूषण पर भी चर्चा तेज होने लगी है। पटाखों से निकलने वाली हानिकारक गैसों से वायु प्रदूषण का स्तर ऊपर जाता है और इसे देखते हुए दिल्ली सहित कुछ राज्यों में दिवाली के समय पटाखे चलाने पर बैन लगाया गया है। पारम्परिक पटाखों पर बैन के बाद ग्रीन पटाखों की बात आती है। हालांकि ग्रीन पटाखों के बारे में लोग ज्यादा नहीं जानते लेकिन पारम्परिक पटाखों की तुलना में ये कम हानिकारक माने जाते हैं।

ग्रीन पटाखे क्या होते हैं?

ग्रीन पटाखे राष्ट्रीय अभियांत्रिकी अनुसन्धान संस्थान की एक खोज है जो दिखने में और जलाने में पारम्परिक पटाखों जैसे ही होते हैं। इस संस्थान ने ग्रीन पटाखों पर शोध शुरू किया था और इसके गुण और दोषों को देखा। ग्रीन पटाखे दिखने, जलाने और आवाज में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं लेकिन इनसे प्रदूषण कम होता है। ग्रीन पटाखों में 40 से 50 फीसदी कम हानिकारक गैसें पैदा होती हैं। ग्रीन पटाखों में इस्तेमाल होने वाले पदार्थ सामान्य पटाखों से अलग होते हैं। इनसे हानिकारक गैसें भी कम बनती है। ग्रीन पटाखों में बेरियम का इस्तेमाल नहीं होता है और यह एक ऐसा विषाक्त पदार्थ है जो मृत्यु का कारण भी बन सकता है।

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ग्रीन पटाखों में सबसे सुरक्षित पटाखों के कुछ नाम आपको जरुर जानने चाहिए। इनमें सैफ वॉटर रिलिजर (SWAS), सैफ मिनिमल एल्युमिनियम (SAFAL), सैफ थर्माईट क्रैकर (STAR) आदि हैं। ये पटाखे पारम्परिक पटाखों की तरह ही जलते हैं और आवाज करते हैं। फर्क सिर्फ इतना ही है कि इनमें तुलनात्मक दृष्टि से विषैली गैसें कम निकलती हैं।

ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल कैसे करें?

इसके लिए कोई अलग से विधि नहीं होती। जिस तरह पारंपरिक पटाखों को चलाते हैं उन सावधानियों के साथ ही ग्रीन पटाखों को चलाया जा सकता है। खुद के शरीर और घर की अन्य चीजों को बचाते हुए ग्रीन पटाखों को चलाया जाना चाहिए। सावधानी हर उस चीज में बरतनी चाहिए जिसमें खतरा हो। प्रदूषण के लिए कम हानिकारक होने के अलावा यह पटाखे ज्यादा अलग नहीं हैं। ऐसे में सेफ्टी नियमों का पालन करते हुए ग्रीन पटाखे चलाने चाहिए।