आयुष्मान के तीन साल बेमिसाल, पात्र लाभार्थियों के 46 फीसद परिवारों तक बनायी पहुँच

आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना ने गुरुवार को तीन साल पूरे कर ली है। योजना के तीन साल के सफ़र पर नजर डाली जाए तो यह स्पष्ट होता है कि कोरोना जैसी विपरीत परिस्थितियों के बाद भी समाज के कमजोर वर्ग के अधिक से अधिक लोगों तक इसकी पहुँच बनाने की हरसंभव कोशिश हुई है। वह चाहे घर-घर पहुंचकर आयुष्मान कार्ड बनाने की कोशिश हो या फिर अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा मुहैया कराने की।

आयुष्मान योजना के तहत लाखों लोगों को मिला फ़ायदा

स्टेट एजेंसी फॉर कम्प्रेहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस एंड इंटिग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) की मुख्य कार्यपालक अधिकारी संगीता सिंह के मुताबिक देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो तीन साल में करीब डेढ़ करोड़ पात्र लाभार्थियों की जेब तक आयुष्मान कार्ड पहुंचाकर सरकार उन्हें आश्वस्त कर चुकी है कि अब उन्हें इलाज पर न तो अपनी मेहनत की कमाई को खर्च करना पड़ेगा और न ही किसी से ब्याज पर कर्ज ही लेना पड़ेगा।

लाभार्थी परिवारों की बात की जाए तो अब तक 57 लाख से अधिक परिवारों (46 फीसद) तक आयुष्मान योजना की पहुँच बन सकी है। इनमें से आठ लाख से अधिक लाभार्थी मुफ्त इलाज की सुविधा भी प्राप्त कर चुके हैं। इनके इलाज पर आये खर्च के 657 करोड़ रूपये का भुगतान किया जा चुका है। मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदेश के करीब 2800 सूचीबद्ध सरकारी व निजी अस्पतालों में प्राप्त की जा सकती है।

आयुष्मान योजना के तहत हेमोडायलिसिस और मोतियाबिंद के सबसे अधिक मरीज योजना का लाभ उठाकर बीमारी से निजात पायी है। गंभीर बीमारियों में डबल वाल्व रिप्लेसमेंट, एयरोटिक वाल्व रिप्लेसमेंट, कोरोनरी आर्टरी बायपास ग्राफ्टिंग की सुविधा मुफ्त में लोगों को प्रदान की गयी है। अप्रैल 2020 से कोविड-19 पैकेज और हाल ही में ब्लैक फंगस और हाई एंड को भी मुफ्त इलाज की श्रेणी में शामिल किया गया है।

इतना ही नहीं योजना में कोविड-19 जटिलताओं के प्रबन्धन के लिए दवाओं को भी शामिल किया गया है। स्वास्थ्य विभाग के साथ ही अन्य विभागों व जनप्रतिनिधियों के सहयोग से शत-प्रतिशत पात्र लाभार्थियों का आयुष्मान कार्ड बनाने को लेकर समय-समय पर अभियान भी चलाये जा रहे हैं और अब तो घर-घर पहुंचकर भी कार्ड बनाये जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल आयुष्मान योजना की शुरुआत 23 सितम्बर 2018 को झारखण्ड से की थी। योजना का प्रमुख उद्देश्य यही था कि कमजोर वर्ग को मुफ्त इलाज की सुविधा मुहैया कराना ताकि उनकी गाढ़ी कमाई का पैसा इलाज पर न खर्च हो या ऐसे मुश्किल वक्त में उन्हें कर्ज के मकड़जाल में न फंसना पड़े। इस योजना के तहत छोटी से लेकर बड़ी तक करीब 1450 बीमारियों का इलाज अस्पताल में भर्ती कर मुफ्त में किया जाता है।

आयुष्मान योजना के तहत प्रति परिवार प्रति वर्ष पांच लाख रूपये तक की मुफ्त इलाज की सुविधा प्राप्त कर सकता है। वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर कमजोर वर्ग की तैयार सूची के आधार पर पात्र लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड प्रदान कर एक तरह की स्वास्थ्य सुरक्षा की गारंटी प्रदान की जाती है। योजना का दायरा बढाते हुए आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान के तहत इसमें कमजोर वर्ग के उन परिवारों को भी शामिल किया गया जो सूची में नहीं आ पाए थे।

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अब एक कदम और बढ़ाते हुए आयुष्मान योजना का लाभ प्रदेश के करीब 11.75 लाख निर्माण श्रमिकों व कामगारों के परिवारों, अन्त्योदय कार्ड धारकों और प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों को भी देने का निर्णय सरकार द्वारा लिया गया है। इस तरह से योजना के दायरे में हर जरूरतमंदों को लाने की सरकार की ईमानदार कोशिश है। इतना ही नहीं शुरू में आयुष्मान कार्ड के लिए तय 30 रूपये के शुल्क लिए जाने की व्यवस्था को ख़त्म करते हुए अब इसे मुफ्त में बनाया जा रहा है। इस तरह इसे यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज की दिशा में बढ़ते कदम के रूप में भी देखा जा सकता है।