टीबी रोग केवल फेफड़ों को ही नहीं, बल्कि शरीर के किसी भी अंग और किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। क्षय रोग की वजह से महिलाओं में बांझपन की समस्या आ रही है। यह जानकारी केजीएमयू के पल्मोनरी एंड टिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने दी।

डॉ. वेद प्रकाश ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि टीबी के बैक्टीरिया श्वांस द्वारा शरीर में प्रवेश करते हैं और रोगी के खांसने, बात करने, छींकने, थूकने से दूसरे लोगों में इसका संक्रमण हो जाता है। इसलिए लोगों को सलाह दी जाती है कि मरीज के मुंह पर कपड़ा या मास्क रख जाय और होने वाले संक्रमण से बचा जाये।
फेफडे़ की टीबी के लक्षण
दो हफ्ते से ज्यादा तक खांसी का आना। बलगम आना। बलगम के साथ रक्त आना। सीने में दर्द।
बुखार आना। भूख एवं वनज तेजी से कम होना।
महिलाओं में लक्षण
समय से मासिक चक्र का ना होना। जननांग से रक्त मिश्रित श्राव होना। 90 प्रतिशत जननांगों का क्षय रोग 15 से 40 साल की महिलाओं में पाया जा रहा हैं। सामान्य रूप से 60 से 80 प्रतिशत बांझपन का कारण क्षय रोग होता है।
बच्चों में भी हो रही टीबी की बीमारी
केजीएमयू के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रो. आरएएस कुशवाहा ने बताया कि बच्चों में होने वाला क्षय रोग उनके विकास को भी प्रभावित करता है। सामान्यतया टीबी को ठीक किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि शुद्ध एवं पौष्टिक खान-पान, अच्छी दिनचर्या और समय पर पूरा इलाज लिया जाये।
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पूरा इलाज कराने के बाद ही बंद करें दवाएं
डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल के चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ.अशोक यादव ने बताया कि कई बार यह देखा जाता है कि मरीज पूरा इलाज नहीं करवाते हैं। टीबी के सामान्य मरीजों का इलाज 6 से 8 महीने तक चलता है, जबकि एमडीआर टीबी का इलाज 2 साल तक चलता है, किंतु मरीज कुछ दिन दवा खाने के बाद जैसे ही ठीक होने लगता है वह कुछ ही समय बाद दवा लेना बंद कर देता है। मरीजों को चाहिए कि पूरा इलाज कराएं और अपने चिकित्सक के परामर्श के बाद ही दवा बंद करें।
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