लखनऊ ।
राज्य सरकार की ओर से गन्ना मूल्य का समय से भुगतान कराने की पहल ने किसानों के चेहरों पर खुशियां लौटाई हैं। सत्ता में आने के बाद से ही योगी सरकार ने वर्ष 2017 से गन्ना मूल्य के भुगतान को सुनिश्चित कराने के लिए प्रदेश में एस्क्रो एकाउंट (अस्थाई अनुबंधित खाता) की व्यवस्था की। इस नई व्यवस्था से कृषकों को चीनी मिलों से गन्ना मूल्य मद की धनराशि मिलने में पारदर्शिता आई। अब गन्ना मूल्य का खाता मिल प्रतिनिधि, जिला गन्ना अधिकारी और ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक के संयुक्त हस्ताक्षर से संचालित किया जाने लगा है।

पूर्व की सरकारों में चीनी के विक्रय मूल्य का 85 प्रतिशत गन्ना मूल्य भुगतान दिया जाता था वहीं 2017 के बाद से वर्तमान सरकार ने गन्ना कृषकों को चीनी के साथ चीनी मिल के अन्य उत्पाद जैसे शीरा, खोई व प्रेसमड के विक्रय मूल्य का 85 प्रतिशत मूल्य भी दिया है। इतना ही नहीं ऐसी चीनी मिलें जो सीधे गन्ने के रस से एथलॉन बना रही हैं उन मिलों में उत्पादित होने वाले एथनॉल के मूल्य का 55 प्रतिशत और सीधे गन्ने के रस से उत्पादित होने वाले एथनॉल के मूल्य का 80 प्रतिशत अंश गन्ना मूल्य भुगतान के लिए टैग किया है। मिलों द्वारा सेनेटाइजर उत्पादन हेतु उपयोग होने वाले एथनॉल के विक्रय मूल्य का 65 प्रतिशत धन भी गन्ना मूल्य भुगतान के लिए टैग दिया गया है जिससे किसानों के गन्ना मूल्य भुगतान में परेशानी आना खत्म हो गई है।
प्रदेश में गन्ना कृषकों को मजबूती देने के लिए राज्य सरकार ने कई बड़े कदम उठाए हैं। गन्ना किसानों की विभिन्न समस्याओं को दूर करने के लिए विभागीय टोल फ्री नम्बर 1800-121-3203 जारी किया गया है। इतना ही नहीं गन्रा किसान सर्वे, सट्टा, कैलेंडर, पर्ची आदि की समस्या के लिए टोल-फ्री नम्बर 1800-103-5823 पर अपनी शिकायत दर्ज कराकर उसका समाधान पा रहे हैं। सरकार की ओर से की गई इस पहल से अब तक 122125 शिकायतों में से 117926 शिकायतों का निस्तारण करा दिया गया है।
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