अयोध्या/रीवा। श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के प्रमुख स्तंभों में शामिल रहे संत, विचारक और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद डॉ. रामविलास वेदांती का सोमवार दोपहर निधन हो गया। 67 वर्षीय डॉ. वेदांती ने मध्य प्रदेश के रीवा स्थित संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर मिलते ही संत समाज, रामभक्तों और राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई।
डॉ. वेदांती पिछले दो दिनों से रामकथा के सिलसिले में रीवा प्रवास पर थे। रविवार को अचानक उन्हें यूरिन पास न होने की गंभीर समस्या हुई, जिसके बाद उन्हें आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालत बिगड़ने पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उन्हें बेहतर इलाज के लिए भोपाल एयरलिफ्ट कराने के निर्देश दिए, लेकिन खराब मौसम और कम दृश्यता के चलते विमान उड़ान नहीं भर सका। मजबूरन उनका इलाज रीवा में ही जारी रखा गया।
इलाज के दौरान रविवार देर रात उन्हें पहला हार्ट अटैक आया। इसके बाद सोमवार सुबह दोबारा दिल का दौरा पड़ने से उनकी स्थिति बेहद नाजुक हो गई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी लगातार अस्पताल प्रशासन से डॉ. वेदांती की सेहत की जानकारी लेते रहे। उन्हें गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल शिफ्ट करने की योजना भी बनी, लेकिन डॉक्टरों ने अस्थिर हालत के कारण एयरलिफ्ट की अनुमति नहीं दी। तमाम प्रयासों के बावजूद सोमवार दोपहर करीब 12:30 बजे उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
डॉ. रामविलास वेदांती के निधन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर आंदोलन में डॉ. वेदांती का योगदान अविस्मरणीय है। उनका त्यागमय जीवन और सनातन धर्म के प्रति समर्पण आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा। सीएम योगी ने इसे आध्यात्मिक जगत और राष्ट्रवादी आंदोलन के लिए अपूरणीय क्षति बताया।
डॉ. वेदांती का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए अयोध्या लाया जा रहा है। मंगलवार को वैदिक परंपराओं के अनुसार उन्हें सरयू नदी में जल समाधि दी जाएगी।
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