चंडीगढ़. पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 के लिए सियासी दल तैयारियों में जुटे हुए हैं. खबर है कि कांग्रेस (Congress) और शिरोमणि अकाली दल (SAD) के नेताओं को अपने पाले में शामिल कर भारतीय जनता पार्टी (BPJ) भी राज्य में सियासी जमीन तलाश रही है. कहा जा रहा था कि तीन कृषि कानूनों (Three Farm Laws) के चलते भाजपा के लिए राज्य में कई मुश्किलें खड़ी हो गई थी. 2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 77 सीटों पर जीत के साथ पूर्ण बहुमत हासिल किया था.
समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से लिखा, ‘कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद भाजपा पंजाब में अपने कदम जमाने की कोशिश कर रही है. अपनी रणनीति के तहत भाजपा अन्य राजनीतिक पार्टियों से नेताओं को शामिल कर रही है. हाल ही में नेताओं का शामिल होना उसी रणनीति का हिस्सा है.’ रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने बताया, ‘कृषि कानूनों के वापस लेने से पहले बीजेपी पंजाब में काफी विरोध का सामना कर रही थी. किसान आंदोलन के समर्थक अपने इलाके में प्रचार के लिए भाजपा नेताओं को आने नहीं दे रहे थे.’
मंगलवार को कांग्रेस विधायक फतेह सिंह बाजवा और श्री हरगोबिंदपुर साहिब सीट से बलविंदर सिंह लड्डी केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गए. बाजवा कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा के भाई हैं. इनके अलावा शिअद नेता गुरतेज सिंह गुंधियाना, कमल बख्शी, मधुमीत, जगदीप सिंह धालीवाल, राजदेव खालसी और पूर्व क्रिकेटर दिनेश मोंगिया ने भी भाजपा का दामन थामा.
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रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने कहा कि इन भर्तियों के जरिए भाजपा को उम्मीद है कि कृषि कानून वापस लेने के बाद राज्य में सियासी माहौल एक बार फिर पार्टी के पक्ष में हो जाएगा. कृषि कानूनों के चलते ही शिअद ने भाजपा से नाता तोड़ लिया था. हालांकि, अब पार्टी ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया है.