राजनीति में कदम रखते ही ईडी के निशाने पर आ गए वाड्रा, पीएम मोदी के खिलाफ लगे नारे

नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय ने मंगलवार को हरियाणा के शिकोहपुर भूमि सौदे से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए कारोबारी रॉबर्ट वाड्रा को दूसरा समन जारी किया । समन के बाद वाड्रा अपने समर्थकों के साथ जांच एजेंसी के दफ्तर पहुंचे। यह समन रॉबर्ट वाड्रा द्वारा राजनीति में शामिल होने की इच्छा व्यक्त करने के एक दिन बाद आया है। उन्होंने कहा था कि यदि कांग्रेस पार्टी को लगता है कि उन्हें यह कदम उठाना चाहिए तो वह अपने परिवार के आशीर्वाद से ऐसा करेंगे। हालांकि उन्होंने ईडी के इस समन को राजनीतिक प्रतिशोध करार देते हुए केंद्र की सत्तारूढ़ मोदी सरकार पर आरोप मढें है.

रॉबर्ट वाड्रा ने कहा- मुझे दबाने की कोशिश हो रही

मंगलवार को ईडी कार्यालय में मीडियाकर्मियों के सवालों का जवाब देते हुए रॉबर्ट वाड्रा ने कहा कि जब भी मैं लोगों के लिए बोलता हूं, तो वे मुझे दबाने की कोशिश करते हैं। यह राजनीतिक प्रतिशोध है। वे जांच एजेंसियों की शक्ति का दुरुपयोग करते हैं। मुझे कोई डर नहीं है, क्योंकि मेरे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है।  हमने ईडी को बताया कि हम अपने दस्तावेज जुटा रहे हैं, मैं हमेशा यहां आने के लिए तैयार हूं। मुझे उम्मीद है कि आज कोई निष्कर्ष निकलेगा।

उन्होंने आगे कहा कि मामले में कुछ भी नहीं है… जब मैं देश के पक्ष में बोलता हूं, तो मुझे रोका जाता है, राहुल को संसद में बोलने से रोका जाता है। भाजपा ऐसा कर रही है। यह राजनीतिक प्रतिशोध है। लोग मुझे प्यार करते हैं और चाहते हैं कि मैं राजनीति में शामिल हो जाऊं… जब मैं राजनीति में शामिल होने की इच्छा व्यक्त करता हूं, तो वे मुझे नीचे गिराने और वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए पुराने मुद्दे उठाते हैं… मामले में कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछले 20 सालों में मुझे 15 बार बुलाया गया और हर बार 10 घंटे से ज़्यादा पूछताछ की गई। 23000 दस्तावेज़ों को व्यवस्थित करना आसान नहीं है।

वाड्रा के साथ वहां मौजूद कांग्रेस समर्थक नारे लगा रहे थे, “जब-जब मोदी डरता है, ईडी को आगे करता है,” उनका इशारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की ओर था, जो कथित तौर पर विपक्ष पर दबाव बनाने के लिए जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है।

वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने 2008 में गुड़गांव के शिकोहपुर गांव में 7.5 करोड़ रुपये में करीब तीन एकड़ जमीन खरीदी थी। कुछ समय बाद, हरियाणा के नगर नियोजन विभाग ने इस जमीन के 2.71 एकड़ पर एक वाणिज्यिक कॉलोनी स्थापित करने के लिए आशय पत्र जारी किया था।

2008 में, स्काईलाइट और डीएलएफ ने तीन एकड़ जमीन 58 करोड़ रुपये में डीएलएफ को बेचने का समझौता किया था। जमीन का बिक्री विलेख डीएलएफ के पक्ष में पंजीकृत किया गया था।

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56 वर्षीय वाड्रा को इस मामले में पहली बार 8 अप्रैल को तलब किया गया था, लेकिन उन्होंने गवाही नहीं दी। एक समाचार एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि एक बार जब वह ईडी के सामने पेश होंगे, तो एजेंसी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उनका बयान दर्ज करेगी। इससे पहले संघीय जांच एजेंसी ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक अन्य मामले में वाड्रा से पूछताछ की थी।