बीते 24 नवंबर को संभल में हुई हिंसा में मारे गए पांच लोगों के परिजनों ने मंगलवार को संसद में विपक्ष के नेता और रायबरेली के सांसद राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से दिल्ली में मुलाकात की। राहुल गांधी ने संभल में पीड़ितों से मिलने की कोशिश की, लेकिन जिला मजिस्ट्रेट द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण उन्हें गाजीपुर सीमा पर रोक दिया गया, जिसके बाद उन्हें राहुल गांधी के आवास पर लाया गया।
संभल के पीड़ित परिवार को दिल्ली लेकर आए कांग्रेस नेता
राहुल और प्रियंका ने 10 जनपथ पर पीड़ितों से मुलाकात की और अपना समर्थन व्यक्त किया और आश्वासन दिया। कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि पार्टी नेता रिजवान कुरैशी, सचिन चौधरी और प्रदीप नरवाल राज्य सरकार द्वारा नेताओं को संभल जाने से रोकने के बाद अपने निजी वाहनों का उपयोग करके पीड़ितों के परिवारों को व्यक्तिगत रूप से दिल्ली लाए।
राहुल गांधी ने परिवारों को दिया आश्वासन
सचिन चौधरी ने बताया कि राहुल गांधी ने परिवारों को आश्वासन दिया है कि न्याय की उनकी लड़ाई में कांग्रेस उनके साथ है। अयान की मां नफीसा अपनी आपबीती सुनाते हुए अपने आंसुओं को रोक नहीं पाईं और प्रियंका ने उन्हें सांत्वना दी और गले लगाया।
अन्य चार पीड़ितों के परिवारों ने आरोप लगाया कि उनके प्रियजन पुलिस की गोलीबारी में मारे गए। उनकी शिकायतों के आधार पर अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि पीड़ितों को देसी पिस्तौल से .315 बोर की गोलियां मारी गई थीं।
जामा मस्जिद के दूसरे सर्वेक्षण के दौरान हुई थी संभल हिंसा
संभल में हिंसा मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के दूसरे सर्वेक्षण के दौरान हुई। जैसे ही सर्वेक्षण दल सर्वेक्षण करने के लिए पहुंचा, तनाव गोलीबारी और पथराव में बदल गया। हिंसा में पांच लोगों की जान चली गई, जबकि आधिकारिक तौर पर चार मौतें दर्ज की गईं। एक पीड़ित मोहम्मद कैफ के परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराए बिना ही शव को दफना दिया।
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उत्तर प्रदेश सरकार ने हिंसा की जांच के लिए 28 नवंबर को तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अरोड़ा की अध्यक्षता वाले इस पैनल में पूर्व आईएएस अधिकारी अमित मोहन प्रसाद और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी अरविंद कुमार जैन भी शामिल हैं। आयोग से दो महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपने की उम्मीद है।