लखनऊ। पंचायती चुनाव की डुगडुगी बजने से ग्राम प्रधानो की घड़कने बढ़ गईं हैं। खुद की सीटों को बरकरार रखने के लिये उन्होंने तैयारी शुरू कर दी है। पांच साल तक लोगों का हाल-चाल न लेने वाले अब प्रधान बनने की होड़ में लोगों का दुख दर्द पूछते देखे जा रहे हैं। पंचायत के विभिन्न पदों पर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों ने भी अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए बिसात बिछानी शुरू कर दी है।
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ग्राम प्रधानों की बढ़ी धड़कनें
एक अक्टूबर से मतदाता सूची के पुनरीक्षण का कार्य शुरू हो जाएगा। बीएलओ एड्रायड मोबाइल के साथ घर घर जाएंगे। इसी के साथ प्रधान जी भी इस काम में लग जाएंगे कि किसी का वोट बनने से न रह जाए। ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 26 दिसम्बर को पूरा हो रहा है।
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आयोग ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण का कार्यक्रम घोषित किया है। इससे चुनाव जनवरी में होने की संभावना जताई जा रही है। इस बार 6 महीने से अधिक समय पुराना महामारी में ही निकल गया। यह समय वर्तमान प्रधानों के लिए काफी नुकसानदायक साबित हुआ है।इस दौरान काम तो हुए लेकिन प्रधान के मनमाफिक ऐसे काम नहीं हो पाए जिससे उनका वोट बैंक बढ़ जाता।
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ऐसे में वोटरों को अपने साथ रखना एक बड़ी चुनौती है। इससे प्रधानों की धड़कने बढ़ाने के लिए काफी हैं।