तालिबान ने अफगानिस्तान में सरकार के गठन के कार्यक्रम को फिलहाल टाल दिया है। वहीं शनिवार को पाकिस्तान का प्रतिनिधिमंडल तालिबान के निमंत्रण पर काबुल पहुंचा है, जिसमे अधिकारियों के साथ ISI चीफ जनरल फैज हामिद भी शामिल है। तालिबान की सरकार के गठन से पहले पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल काबुल पहुंचना कई बड़े सवाल खड़ा कर रहा है। पाकिस्तान और तालिबान के बीच जो रिश्ता है। उसे दुनिया जानती है लेकिन सरकार के गठन से पहले पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का काबुल पहुंचना भारत के लिए आने वाले समय में मुश्किल बढ़ा सकता है। माना जा रहा है कि तालिबानी सरकार में पाकिस्तान की दखल होगी। वहीं ISI के साथ हक्कानी नेटवर्क के रिश्ते जगजाहिर हैं।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने दावा किया था कि शुक्रवार को काबुल में तालिबान अपनी नई सरकार का गठन करेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इसके बाद तालिबान के प्रवक्ता की ओर से कहा गया कि वो शनिवार को सरकार गठन करेगा लेकिन फिर कार्यक्रम को टाल दिया गया, जिसके बाद पाक का प्रतिनिधि मंडल काबुल पहुंच गया। अब बताया जा रहा है कि मंगलवार तक अफगानिस्तान में तालिबान अपनी सरकार बना लेगा।
वहीं, तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब और सिराजुद्दीन हक्कानी के बीच सैनिकों और हथियारों के नियंत्रण को लेकर अनबन की खबरें हैं. खुफिया अधिकारियों के मुताबिक न्याय, धार्मिक मामलों और आंतरिक सुरक्षा विभागों को लेकर दोनों में मतभेद है. इन तमाम चुनौतियों के अंबार के बीच तालिबान की राह आसान नहीं दिख रही है।
पंजशीर बना तालिबान की राह में रोड़ा
काबुल पर कब्जे के लगभग 20 दिन बाद सरकार के गठन से लगे तालिबान ने बड़ा दावा करते हुए कहा है कि उसने पंजशीर घाटी पर भी कब्जा कर लिया है। तालिबान के इस दावे को अफगानिस्तान के पूर्व उप-राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा है कि जंग अभी जारी है।