श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े द्वारा निकाली गई प्राचीन पवित्र छड़ी यात्रा का ऋषिकेश पहुंचने पर मायाकुंड स्थित तारा माता मंदिर में मंदिर के श्रीमंहत संध्या गिरी के नेतृत्व में संतों ने स्वागत किया। पवित्र छड़ी यात्रा का रात्रि विश्राम तारा माता मंदिर में हुआ।
पवित्र छड़ी यात्रा गुरुवार सुबह त्रिवेणी घाट पर स्थित दत्तात्रेय मूर्ति के निकट पूजा-अर्चना के बाद ऋषिकेश के तमाम मंदिरों में दर्शन कर आगे के लिए ‘जय बद्री-जय केदार, सर्व समाज का हो उद्धार’ के उद्घोष के साथ रवाना हो गई।
इस अवसर पर छड़ी के संयोजक श्रीमहंत शिवदत्त गिरी ने कहा कि इस यात्रा को निकाले जाने का उद्देश्य चारों धामों में की जा रही घुसपैठ के साथ आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित मंदिरों की आस्था को चोट पहुंचाए जाने का विरोध किया जाना भी है। उन्होंने बताया कि यह यात्रा गुरुवार की सुबह 5:00 बजे त्रिवेणी घाट स्थित दत्तात्रेय मूर्ति के निकट पूजा-अर्चना करने के बाद ऋषिकेश के ग्राम देवता श्री भरत मंदिर, काली मंदिर, बनखंडी महादेव मंदिर, सोमेश्वर मंदिर के बाद चंद्रेश्वर नगर स्थित चंद्रेश्वर मंदिर पहुंची। यहां पूजा- अर्चना करने के बाद यह यात्रा यमुनोत्री के लिए प्रस्थान कर रही है।
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इस दौरान जूना अखाड़े के श्रीमहंत हरिगिरि महाराज ने बताया कि पवित्र छड़ी यात्रा चारों धाम तथा समस्त उत्तराखंड के सभी प्रमुख तीर्थों का भ्रमण कर 10 नवम्बर को वापस मायादेवी मन्दिर हरिद्वार पहुंचेगी। लगभग 21 दिन की इस यात्रा में पवित्र छड़ी चारों धाम के अतिरिक्त त्रिजुगीनारायण, तृंगनाथ, भविष्य बद्री, आदि बद्री, नृसिंह मन्दिर, आद्य जगदगुरु शंकराचार्य गुफा, सीतामढ़ी, नौटी गांव में श्रीयंत्र होते हुए कुमायूं मण्डल में प्रवेश करेगी, जहां बैजनाथधाम, जागेश्वरधाम, सोमेश्वर महादेव, एड़ादेव, खड़केश्वर मन्दिर, गरूड़चट्टी, ज्योतिर्लिंग बागनाथ मंदिर बागेश्वर, पूर्णागिरि मन्दिर, गंगानाथ मन्दिर, प्रन्ना देवी नैनीताल, नारायण आश्रम ओमपर्वत, पाताल भुवनेश्वर, हाट काली गंगोलीहाट, दूना गिरि, कालिका मन्दिर रानीखेत, बिनसर महादेव, बूढ़ाकेदार, भूमियाथान मासी, गर्जिया माता के दर्शनों के पश्चात हरिद्वार पहुंचेगी।