हिन्दी दिवस पर बही काव्य की धारा

‘रचनांकन’ की काव्यधारा से हिंदी हुई समृद्ध

लखनऊ। हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर ऑनलाइन कवि सम्मेलन ‘रचनांकन’ का आयोजन सुरभि कल्चरल ग्रुुप द्वारा आज रविवार को किया गया । जिसमे देश प्रदेश के कवियों ने गीत, ग़ज़ल और कविताओं के जरिए हिन्दी के उपयोगिता और महत्त्व के रंग भरे। जितेन्द्र कमल आनन्द की अध्यक्षता में हुए कवि सम्मेलन का शुभारम्भ उत्तराखंड से पुष्पा जोशी ‘प्राकाम्य’ ने सरस्वती वंदना और “ओंठों पे रही राज, वो सु साज है हिंदी। माँ भारती का ताज, मेरा नाज है हिंदी।।” रचना प्रस्तुत कर की।


मुरादाबाद से डॉ ममता सिंह ने हर दिन हर पल पा रही, जग भर में विस्तार। कोना कोना कर रहा, अब हिन्दी से प्यार।। नैनीताल से सत्यपाल सिंह “सजग” ने
जब भाषा ने अलख जगाई तब भारत में हिंदी आई हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सबको हिन्दी दिवस की बधाई । रामपुर से जितेन्द्र कमल आनन्द ने हिन्दी है गरिमा भारत की माता का सम्मान है । एकरूपता यही राष्ट्र की, भावों का परिधान है। जैसे फहरे ध्वजा दुर्ग पर बैसे इसे फहरने दें ! हिंदी हिंदुस्तान की बिंदी इसको लाल चमकने दें! रामपुर से ओंकार सिंह विवेक ने दुनिया में भारत के गौरव,मान और सम्मान की, आओ बात करें हम अपनी, हिंदी के यश गान की।
रामपुर से रागिनी गर्ग ने विनती है यह सबसे मेरी, हिन्दी को अपनाओ रे! अपनी तो माता है हिंदी इसको शीश बिठाओ रे! जयपुर राजस्थान से राम किशोर वर्मा
हिन्दी है भारत की बिंदी, जिसने मान बढ़ाया है। कौन क्षेत्र है इससे वंचित , जहां न पैर जमाया है ।। मुरादाबाद से राजीव “प्रखर” ने मानो मुझको मिल गये, सारे तीरथ-धाम। जब हिन्दी में लिख दिया, मैंने अपना नाम।। बरेली से उपमेंद्र सक्सेना ने कानवेंट में बच्चे पढ़ते, उनकी सब इच्छाएॅं पूरी तड़क-भड़क की इस दुनिया में, हिंदी उनकी रही अधूरी। अमरोहा से प्रीति चौधरी ने मन में बसी यही अभिलाषा सिखाती जो प्रेम परिभाषा सितारा बन चमके जगत में हिंदी हमारी मातृभाषा प्रयागराज से हेमा श्रीवास्तव हेमाश्री ने अखिल ब्रह्मांड से उतरी हिमालय की बनी बिंन्दी। देव,ऋषियों की धरती पर हिंन्द की शान बनी हिंदी।।
लखनऊ से मोहिनी मिश्रा हिंदी है भारत की संपदा, इसमें सरल भाव की बहती है गंगा.. विभिन्न रसों से रचनाएं सुनाकर कावियो ने बहुत तालियां बटोरी। कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि डा राकेश सक्सेना जी-(प्राचार्य एवं कवि एटा), विशिष्ट अतिथि डा शेषपाल सिंह शेष जी ( प्राचार्य सेवा निवृत्त , एवं कवि – आगरा),
ममता त्रिपाठी (समाजसेविका /सयोजिका – बाल और महिला सेवा संगठन ), रुचि अरोड़ा (सहायक अध्यापिका पूर्व माध्यमिक विद्यालय, अमानीगंज) रहे।
संचालन जयपुर से राम किशोर वर्मा ने किया संयोजक शैलेन्द्र सक्सेना थे। यह जानकारी सुरभि कल्चरल ग्रुुप के सचिव शैलेन्द्र सक्सेना ने दी।

हिन्दी दिवस पर बही काव्य की धारा