1962 में चीन द्वारा धोखे से भारत पर किये गये हमले के विरोध में पूर्व नेता विधान परिषद विन्ध्यवासिनी कुमार

लखनऊ। आज के ही दिन सन 1962 मे चीन द्वारा धोखे भारत पर किये गये हमले के विरोध मे भाजपा व विभीन्न सामाजिक संगठनो से जुड़े लोगों ने लालबाग में तिलक प्रतिमा पर बैठकर अपना विरोध दर्ज किया। इस अवसर पर पूर्व नेता विधान परिषद विन्ध्यवासिनी कुमार ने कहा कि कांग्रेस की सरकार द्वारा 1962 मे की गयी गलती की सजा आजतक पुर देश और लाखो की संख्या मे विस्थापित तिब्बती भुगत रहे है। यदि उस समय हमारे प्रधानमंत्री समय रहते सही निर्णय लेते तो देश की 62000 वर्ग मीटर जमीन चीन ना कब्जा पाता।

धरना प्रदर्शन

परन्तु अब देश मे मोदी जी का नेत्रत्व है और चीन को उसी की भाषा मे जवाब दिया जा रहा है। विन्ध्यवासिनी कुमार ने कहा कि मोदी जी के आवाहन पर पुरे देश को एक साथ मिलकर चीनी सामानों का बहिष्कार कर स्वदेशी अपनाना चाहिये। इस कार्य मे जन भागीदारी की आवश्यकता है,तभी हम चीन को पछाड़ सकेगे। विन्ध्यवासिनी कुमार ने कहा चीन का तिब्बत पर से कब्जा हटे और तिब्बत स्वतन्त्र राष्ट्र घोषित हो। कार्यक्रम के आयोजक संजय शुक्ला ने कहा की हम सभी को मिलकर इस बात पर जन आवाज व जन समर्थन प्राप्त करना चाहिये जो तिब्बत को आजाद करा सके,जिससे भारत की चीन से सटी 3500 वर्ग किमी भूमि सदैव के लिये विवाद रहित हो जाये और सीमा सुरछा पर होने वाला खर्च देश के विकास मे लगाया जा सके। इस हेतू एक ज्ञापन भी राज भवन जाकर महामहिम के माध्यम से देश के राष्ट्रपति को दिया गया।

कार्यक्रम मे धरना देने और ज्ञापन देने में शामिल लोगों पूर्व नेता विधान परिषद एवं लोक आभियान के संयोजक विंध्यवासिनी कुमार, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय मंत्री व वक्फ़ विकास निगम के निदेशक शफाअत हुसैन, कमल ज्योति के सम्पादक साधक राजकुमार, अ.भा. हिन्दू महासभा के प्रवक्ता शिशिर चतुर्वेदी, स्क्वाड्रन लीडर राखी अग्रवाल, भारत तिब्बत संवाद मंच के पदाधिकारियों में  संजय शुक्ला, स्वदेश सिंह, धर्मेंद्र सिंह रैकवार, बुनकर प्रकोष्ठ क्षेत्रीय सह-संयोजक विनोद कुमार, दिनेश प्रताप सिंह,एड. कैलाश कांडपाल, दीपक चक्रवर्ती, प्रो. शिशिर श्रीवास्तव, अनुराग मिश्रा, अध्यक्ष राकेश सिंह  प्रमुख थे।