कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू के रवैये के कारण हुई फजीहत से बड़ा सबक लिया है। पार्टी ने अब ‘कांग्रेस कल्चर’ से जुड़े नेताओं यानि कांग्रेस से शुरू से जुड़े कांग्रेसियों पर ही भरोसा करने का फैसला किया है। यही कारण है कि पंजाब में पार्टी की कमान अमरिंदर सिं राजा वडिंग को दी गई है। वडिंग युवा नेता होने के साथ ही पुराने कांग्रेसी भी हैं। वह पंजाब में तेजतर्रार नेता माने जाते हैं।
दअसल, पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 (Punjab Assembly Election 2022) में हुई करारी हार से कांग्रेस हाईकमान ने सबक लेना शुरू कर दिया है। पिछले एक वर्ष से टकसाली (पुराने) कांग्रेसी और बाहर से आए नेताओं के बीच खींचतान चल रही थी। इसको कांंग्रेस हाईकमान ने समाप्त करते करने का फैसला किया और पार्टी में पुराने कांग्रेसियों पर ही भरोसा जताया है।
कांग्रेस ने प्रदेश प्रधान से लेकर नेता प्रतिपक्ष नियुक्त करने में जो फैसला लिया है, उसमें इस बात की साफ झलक देखने को मिल रही है। प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वडि़ंग, कार्यकारी प्रधान भारत भूषण आशु, नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा और उपनेता डा. राजकुमार चब्बेवाल चारों शुरू से ही कांग्रेस से जुड़े रहे हैं।
वहीं, पार्टी नेतृत्व ने इस कदम से यह भी साफ किया है कि 2021 में जो प्रयोग उसने किया था, वह सही नहीं था। जुलाई, 2021 में पार्टी ने नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश इकाई की कमान सौंपी थी, जोकि 2017 में ही कांग्रेस में आए थे। वहीं, पार्टी का महासचिव भी परगट सिंह को बना दिया था। परगट ने भी सिद्धू के साथ पार्टी ज्वाइन की थी। दो अहम पदों पर बाहर से आए नेताओं को बैठाने से कांग्रेस नेताओं में खासी बेचैनी भी थी।
उस समय बतौर राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह दूलो भी पुराने कांग्रेस नेता को पंजाब में पार्टी की कमान सौंपने की मांग को उठाते रहे थे। विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद अंतत: कांग्रेस को अपनी गलती का अहसास हुआ और पार्टी ने पुन: पुराने कांग्रेसियों पर ही भरोसा जताना शुरू किया।
जोश और होश दोनों का किया मेल
कांग्रेस ने पार्टी में जोश और होश दोनों का मेल किया है। पार्टी ने 45 वर्षीय अमरिंदर सिंह राजा वडि़ंग को प्रदेश प्रधान बनाकर बड़ा संदेश दिया है। वडिंग युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं। वह काफी जोशीले हैं और गिद्दड़बाहा से तीसरी बार विधायक चुन कर आए हैं।
पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु को पार्टी ने कार्यकारी प्रधान बनाकर हिंदुुुओं को भी प्रतिनिधित्व दिया है। 51 वर्षीय आशु लुधियाना पश्चिमी से दो बार विधायक रहे हैं। कैप्टन की सरकार में वह खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री की जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं। इस बार वह चुनाव हार गए थे। आशु वडि़ंग के मुकाबले खासे शांत और संतुलन बनाकर चलने वाले नेता हैं। ऐसे में कांग्रेस ने संगठन में राजा वडिंग जैसे जोशीले तो आशु जैसे शांत नेता को जिम्मेदारी दी है।
अनुभव को तरजीह, भविष्य का एससी नेता तराशने की कोशिश
विधानसभा में कांग्रेस ने पार्टी की कमान प्रताप सिंह बाजवा को सौंपी है, जबकि उपनेता की जिम्मेदारी चब्बेवाल विधानसभा सीट से दूसरी बार विधायक रहे डा. राजकुमार चब्बेवाल को दी है। बाजवा वर्तमान विधानसभा में सबसे वरिष्ठ नेता हैं। चार बार के विधायक व लोकसभा और राज्यसभा में भी वह अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
बाजवा विधानसभा में एकमात्र ऐसे नेता है, जिन्हें तीनों ही हाउस का अनुभव है। वहीं, पार्टी ने डा. राजकुमार चब्बेवाल को उपनेता बनाकर यह संकेत दे दिए हैं कि पार्टी अब एससी वर्ग के लिए अपना नेता दोआबा से बनाएगी, क्योंकि दोआबा में सबसे अधिक एससी वोट बैंक है।
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कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर एससी को अपने करीब लाने की कोशिश तो की थी, लेकिन उसका पार्टी को कोई ज्यादा लाभ नहीं हुआ। ऐसे में अब डा. राजकुमार चब्बेवाल के रूप में पार्टी एससी नेता को उभारना चाहती है।