मुख्यमंत्री धामी ने किया फिलॉसोफी एंड एक्शन ऑफ आरएसएस फॉर हिन्द स्वराज का विमोचन

मुख्यमंत्री धामी ने किया फिलॉसोफी एंड एक्शन ऑफ आरएसएस फॉर हिन्द स्वराज का विमोचन

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर पुनः प्रकाशित पुस्तक के संस्करण “फिलॉसोफी एंड एक्शन ऑफ आरएसएस फॉर हिन्द स्वराज” का विमोचन किया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, राष्ट्रवादी चिंतक व ‘प्रज्ञा प्रवाह’ विशिष्ट वैचारिक मंच के संयोजक जे. नंदकुमार की गरिमामय उपस्थिति रही।

देहरादून के आईआरडीटी सभागार में आयोजित पुस्तक विमोचन के बाद मुख्यमंत्री धामी ने पुस्तक के बारे में कहा कि वर्ष 1951 में कैथोलिक पादरी फादर एंथोनी की पुस्तक फिलॉसोफी एंड एक्शन ऑफ आरएसएस फॉर हिन्द स्वराज में न केवल संघ की विचारधारा, संगठनात्मक संरचना और कार्यपद्धति का गहन अध्ययन प्रस्तुत किया, बल्कि हिंद स्वराज की मूल आत्मा को भी समेकित रूप से समझाने का काम किया।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह पुस्तक हमारी आने वाली पीढ़ियों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रारंभिक संघर्षों, त्याग और तपस्या से परिचित कराते हुए उन्हें वैचारिक परंपरा और कार्यशैली से जोड़ने में सहायक सिद्ध होगी।’ मुख्यमंत्री ने कहा कि फादर एंथोनी ने यह पुस्तक उस समय लिखी जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर समाज में अनेकों प्रकार की भ्रांतियां और गलत धारणाएं फैलाई जा रही थीं।

उस चुनौतीपूर्ण कालखंड में फादर एंथोनी ने निष्पक्षता और ईमानदारी के साथ लिखा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कोई सांप्रदायिक संस्था नहीं, अपितु राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित एक अनुशासित और आध्यात्मिक चेतना से ओतप्रोत संगठन है। उन्होंने संघ के कार्यकर्ताओं के जीवन में अनुशासन, सेवा, समर्पण और देशभक्ति को निकटता से देखा और दुनिया को अवगत कराया कि ये संगठन भारत के पुनर्निर्माण की वास्तविक आधारशिला है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि फादर एन्थोनी ने लिखा कि संघ न केवल सनातन धर्म की खोई हुई प्रतिष्ठा को पुनर्स्थापित करने की दिशा में कार्य कर रहा है बल्कि समाज में व्याप्त कु-प्रथाओं का अंत कर संपूर्ण भारतवर्ष को एक सूत्र में पिरौने के कार्य में भी जुटा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सौ वर्षों की यात्रा में भारत में सांस्कृतिक पुनर्जागरण, सामाजिक समरसता, आत्मगौरव और राष्ट्रनिष्ठ सेवा की दिव्य धारा को प्रवाहित किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आद्य सरसंघचालक परम श्रद्धेय डॉ केशव बलिराम हेडगेवार ने जब वर्ष 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी, तब भारत न केवल राजनीतिक दृष्टि से पराधीन था, बल्कि कई मायनों में भी खंडित हो चुका था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी सौ वर्षों की तपोमयी यात्रा के माध्यम से भारत में सांस्कृतिक पुनर्जागरण, सामाजिक समरसता, आत्मगौरव और राष्ट्रनिष्ठ सेवा की ऐसी दिव्य धारा प्रवाहित की है, जिसने देश के कोने-कोने में राष्ट्रीय चेतना की अखंड ज्योति प्रज्वलित हो रही है।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सरकारी स्कूलों में श्रीमद्भागवत गीता का पाठ शुरू करवाने के साथ ही समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने, उत्तराखंड के सांस्कृतिक मूल्यों और डेमोग्राफी को संरक्षित रखने, धर्मांतरण विरोधी और सख्त दंगारोधी कानूनों को लागू करने, लैंड जिहाद, लव जिहाद और थूक जिहाद के खिलाफ सरकार की योजनाओं की भी जानकारी दी। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत अपनी सांस्कृतिक चेतना के पुनर्जागरण के अमृतकाल में प्रवेश कर चुका है। कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत, आरएसएस के कार्यकर्ता समेत अन्य मौजूद रहे।