नए साल के साथ पहली जनवरी से कुंभ वर्ष भी शुरू हो गया है। वैसे तो कुंभ की शुरुआत मार्च में होगी। इस साल कुंभ की धूम हरिद्वार में होने वाली है। हरिद्वार कुंभ नगरी जाने वाले वाले एक सवाल अक्सर करते है कि वहां ऐसे पांच प्रमुख कौन से घाट हैं ? जहां पर डुबकी लगाकर पापों से मुक्ति मिल जाती हैं। यह सवाल लोग अक्सर करते हैं। वैसे तो उत्तराखंड को देवनगरी कहा जाता है क्योकिं हरिद्वार के कण-कण में भगवान वास करते है और हर घाट-घाट से बहने वाली मां गंगा मोक्षदायिनी है, लेकिन 5 घाटों का हरिद्वार में विशेष महत्व बताया गया है।
उम्मीद जताई जा रही है कि इस कोरोना काल में भी लाखों-करोड़ों श्रद्धालु स्वर्ग के द्वार यानी हरिद्वार में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचेंगे। हरिद्वार में जगह-जगह श्रद्धालुओं को गंगा स्नान के लिए व्यवस्था करवाई जा रही है। हरिद्वार में सभी घाटों का अपना अलग महत्व है, जिनमें से 5 घाट प्रमुख हैं। वह हैं ब्रह्मकुंड, नारायणी स्रोत, विष्णु घाट शिला, कुशावर्त घाट और रामघाट।
ब्रह्मकुंड को हरकी पैड़ी भी कहा जाता है। कहा जाता है कि यहां पर डुबकी लगाने से अनन्त पुण्य प्राप्त होता है और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। मान्यता है कि यहीं पर समुंद्र मंथन के दौरान अमृत की बूंदें कलश से छलक कर गिरी थीं। यहां स्नान करने से अर्थ, काम, मोक्ष और धर्म चारों की प्राप्ति हो जाती है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस स्थान पर स्नान करने से कभी भी मनुष्य की अकाल मृत्यु नहीं होती।
हरिद्वार में दूसरा प्रमुख घाट नारायणी स्रोत है। इस घाट के बारे में कहा जाता है कि जब भगवान कृष्ण के ऊपर सर्प दोष लगा था, तब उनकी कुंडली में भी इसका असर देखा गया था। भगवान कृष्ण को इस दोष से मुक्ति दिलाने के लिए यहीं के गंगाजल से भगवान कृष्ण का स्नान करवाया गया था। कहते हैं कि यहां स्नान करने से सर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
तीसरा प्रमुख घाट है विष्णु घाट। कहा जाता है कि यहां पर डुबकी लगाने से मनुष्य को धन की प्राप्ति होती है, उसकी जेब कभी भी खाली नहीं रहती। लिहाजा, यहां आने वाले श्रद्धालु इस घाट पर भी एक बार स्नान जरूर करते हैं।
कुशावर्त घाट के बारे में भी ग्रंथों में कई बातें लिखीं गईं हैं। इस घाट को भगवान दत्तात्रेय की तपस्थली कहा जाता है। कहा जाता है कि इसी घाट पर पांडवों और श्रीराम ने अपने पितरों का पिंडदान किया था। लिहाजा, यहां पर स्नान करने से पितरों को शांति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।
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पांचवां घाट है रामघाट। कहा जाता है कि भगवान राम ने रावण का वध करने के बाद इसी घाट पर ब्रह्म हत्या से दोष से मुक्ति पाने के लिए तपस्या की थी। इसीलिए इस घाट का नाम रामघाट पड़ा। मान्यता यह है कि इस घाट पर स्नान करने से बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद तो मिलता ही है। साथ ही साथ व्यक्ति को सम्मान की प्राप्ति भी होती है।