कोलकाता : कलकत्ता हाईकोर्ट ने पूजा पंडालों को नो एंट्री जोन बताने वाले आदेश में आंशिक ढीलाई करते हुए एक साथ 60 लोगों के प्रवेश की अनुमति दी है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने आज नया आदेश पारित किया। कोर्ट ने कहा है कि बड़े पूजा पंडालों में अधिकतम 60 लोग जा सकते हैं। कोर्ट के अनुसार पंडाल में प्रवेश की इजाजत पाने वालों के नामों की लिस्ट हर दिन सुबह आठ बजे तक पंडाल के गेट पर लगानी होगी। अदालत ने ढाक या पारंपरिक ड्रम वादकों को भी नो एंट्री जोन में जाने की इजाजत दे दी है। वे अब पंडाल के गेट के बाहर ढोल बजा सकते हैं।
पूजा कमेटियों ने लगाया था गुहार
उल्लेखनीय है कि, पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा त्योहार दशहरा शुरू होने से एक दिन पहले, कलकत्ता हाई कोर्ट ने आज अपने आदेश में ये ढील दी है। कोर्ट ने इससे पहले कोरोनो वायरस महामारी की वजह से पूजा पंडालों को दर्शनार्थियों के लिए “नो-एंट्री जोन” घोषित कर दिया गया था। कोर्ट ने पुलिस कर्मियों की संख्या और प्रशासन की व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए थे। जिसके बाद शहर में 400 शीर्ष दुर्गा पूजा आयोजकों ने आदेश की समीक्षा के लिए कोर्ट में अपील की थी। दुर्गा पूजा आयोजकों की कंट्रोलिंग संस्था, दुर्गोत्सव मंच ने मंगलवार को अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
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पूजा, अंजलि और सिंदूर खेला नहीं
जस्टिस संजीव बनर्जी के डिवीजन बेंच ने अपने पिछले फैसले में मामूली संसोधन करते हुए कहा कि 300 वर्ग मीटर के पूजा पंडालों में 60 लोगों को रहने की इजाजत होगी, लेकिन एक साथ सिर्फ 45 लोग पंडाल में रह सकेंगे। छोटे पूजा पंडालों में 40 के रहने की इजाजत होगी लेकिन एक समय में सिर्फ 15 ही रह सकते हैं। छोटे पंडालों के लिए प्रवेश द्वार से पांच मीटर की दूरी पर बैरिकेड लगाने होंगे, जबकि बड़े पंडालों के लिए यह दूरी 10 मीटर होगी। हालांकि, कोर्ट ने आयोजकों की ओर से पेश हुए पंडाल के अंदर पूजा, अंजलि और सिंदूर खेला की मांग को खारिज कर दिया है।