ताजमहल के मामले में एक RTI के जवाब में पुरातत्व विभाग (ASI) ने बताया है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि वहाँ कब से और किसकी इजाजत से नमाज़ पढ़ी जा रही है। ASI के इस जवाब के बाद वहाँ धार्मिक गतिविधियों को बंद करने की माँग की गई है। ताजमहल में अभी भी शुक्रवार को जुमे की नमाज़ अदा की जाती है।
गौरतलब है कि इतिहासकार राजकिशोर ने दिल्ली स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से RTI के माध्यम से सवाल किया था कि ताजमहल परिसर में होने वाले नमाज़ की इजाजत किसने और कब दी थी। इसके जवाब में ASI ने इसकी जानकारी न होना बताया। खुद राजकिशोर के मुताबिक, “मैंने जनसूचना के माध्यम से सवाल किया था कि किसी पुराने ग्रंथ में यहाँ होने वाले नमाज़ का उल्लेख क्यों नहीं है ? औरंगज़ेब के समय के किसी भी ग्रंथ में नमाज़ का कहीं जिक्र नहीं है। इसके जवाब में ASI ने अपने पास कोई जानकारी न होना बताया। इसका सीधा सा अर्थ है कि यहाँ बिना किसी नियम या अनुमति के नमाज़ अदा की जा रही है।”
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राजकिशोर राजे ने कहा, “ताजमहल के अंदर नमाज़ का जिक्र शाहजहाँ के वक्त की किताबों में भी नहीं है। उस समय तो आम लोगों को ताजमहल के अंदर भी घुसने की इजाजत नहीं थी। ऐसे में नमाज पढ़ना तो दूर की बात है। ताजमहल एक एतिहासिक स्थान है जहाँ किसी भी प्रकार की मजहबी गतिविधियों को करने की इजाजत नहीं होनी चाहिए।” कुछ समय पहले ताजमहल की सुरक्षा में तैनात CISF ने 2 पर्यटकों को कैम्पस में नमाज़ पढ़ते हिरासत में लिया था। तब उन दोनों ने इसकी जानकारी न होना बताया था।
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गौरतलब है कि जयपुर के राजघराने की सदस्य और बीजेपी से सांसद दीया कुमारी ने दावा किया है कि जिस जगह पर ताजमहल स्थित है वो जमीन उनकी थी। दीया कुमारी ने ताजमहल के बंद दरवाजों को खोलने के लिए दायर की गई याचिका की तारीफ करते हुए कहा कि इससे सच निकलकर बाहर आएगा। इसके साथ ही उन्होंने ये भी दावा किया है कि उनके पास ऐसे डॉक्यूमेंट्स हैं, जिससे ये साबित होता है कि ताजमहल जयपुर के पुराने शाही परिवार का पैलेस था। उधर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 12 मई 2022 को ताजमहल के 20 कमरों को खोलने की याचिका खारिज कर दी थी।