बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में नई परंपरा की शुरुआत की गई। सत्र के शुरुआत में राष्ट्रगान गाया गया और जब 5 दिनों तक चलने वाले सत्र के समापन का समय आया, उस समय भी राष्ट्रीय गीत गाया गया। विधानसभा के अंदर जब राष्ट्रगीत गाया जा रहा था उस वक्त सभी विधायक खड़े थे और राष्ट्रगीत गा भी रहे थे। लेकिन सदन से बाहर निकलते ही एआईएमआईएम के विधायक अख्तरुल इमाम ने स्पीकर की इस नई पहल का खुलकर विरोध कर दिया।
विधायक अख्तरुल इमाम ने कहा कि जब राष्ट्रगीत गाया जा रहा था उस वक्त सदन के सम्मान में मैं खड़ा जरूर हुआ लेकिन मैंने राष्ट्रगीत नहीं गया। सदन में जब राष्ट्रगान गाया गया था तो मैंने भी खड़ा होकर गया था, लेकिन राष्ट्रगीत गाना जरूरी नहीं। इसे गाने के लिए कोई जबरदस्ती भी नहीं कर सकता। राष्ट्रगीत को लेकर कई धर्मगुरुओं ने भी आपत्ति जताई है।
अख्तरुल इमाम के इस विरोध पर बीजेपी विधायक संजय सिंह ने कहा कि जिन्हें पाकिस्तान से प्यार है वे ही राष्ट्रगीत नहीं गाते हैं। ऐसे में जिन्हें राष्ट्रगीत नहीं गाना है, वे पाकिस्तान चले जाएं। हर भारतीय को राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत गाना अनिवार्य है। ये लोग बारिश होने पर इंडिया की जगह पाकिस्तान में छाता लगाते हैं।
स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि पूरे सत्र के दौरान सदन बेहतर तरीके से चला। सभी सवालों के जवाब आए। लोकसभा की तर्ज पर सत्र की राष्ट्रगान से शुरुआत हुई। राष्ट्रगीत से सत्र का समापन हुआ। ये अच्छी परंपरा है, इससे गर्व का बोध होता है।
आतंकियों को घेरने के बाद करना चाहिए दो दिन इंतजार- बोले गुलाम नबी आजाद
मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत रहना चाहिए। इस परंपरा की शुरुआत के लिए स्पीकर को धन्यवाद देते हैं। एआईएमआईएम विधायक के विरोध पर उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में ऐसा होता है, सबका अपना-अपना मत है। राष्ट्रवादी लोगों को राष्ट्रगीत पसंद है।