लखनऊ। उत्तर प्रदेश के इतिहास में दूसरी बार बचाए गए266 इंडियन टेंट टर्टल (पंगशुरा टेंटोरिया सर्कमडाटा) और इंडिया रूफ्ड टर्टल (पंगशुरा टेक्टा) को उत्तर प्रदेश वन विभाग और टर्टल सर्वाइवल एलायंस – इंडिया द्वारा 19 सितंबर 2021 को हैदराबाद तेलंगाना से लखनऊ ले जाया गया। .
हैदराबाद, तेलंगाना में अगस्त के पहले सप्ताह में इन कछुओं को जब्त कर लिया गया तथा दो अपराधियों को हिरासत में लिया गया। पूछताछ में उन्होंने लखनऊ के पास गोमती नदी से इन कछुओं का शिकार करने की बात स्वीकार कर लिया था। कछुओं को अदालत के आदेश और कानूनी कार्यवाही होने तक सुरक्षित नेहरू जूलॉजिकल पार्क, हैदराबाद में अस्थायी रूप से रखा गया था। त्वरित कार्रवाई के तहत, श्री पवन कुमार शर्मा, पीसीसीएफ (वन्यजीव) ने टीएसए के तकनीकी इनपुट के तहत राज्य को कछुओं को सौंपने के लिए तेलंगाना वन विभाग से संपर्क किया, जिससे इस कछुओं को बिना किसी देरी के लखनऊ वापस ला कर उनके प्राकृतिक वास में विमोचित किया जा सके।
श्री शर्मा ने तुरंत सीसीएफ अवध श्री आरके सिंह और डीएफओ, अवध (लखनऊ) श्री रवि कुमार सिंह को दोनों राज्यों के बीच आवश्यक कागजी कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिया। दोनों अधिकारियों ने दोनों राज्यों के बीच अथक कागजी कार्रवाई का पालन किया तथा टीएसए टीम को हर संभव सहायता प्रदान की।
टीएसए ने वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन सोसाइटी- इंडिया ईस्टर्नघाट टीम के प्रमुख श्री इमरान और पूर्व टीएसए इंटर्न श्री सुजीत को एयर इंडिया के माध्यम से तेजी से स्वास्थ्य जांच मानक पैकेजिंग और कछुओं के अनुवाद में मदद करने के लिए समन्वयित किया। एयर इंडिया 7 वर्षों से अधिक समय से लुप्तप्राय वन्यजीवों के स्थानांतरण के लिए टीएसए का विश्वसनीय भागीदार रहा है, जो इस बार फिर से इस अवसर पर साथ देने के लिये आगे आया तथा कछुओं के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए सभी सहायता भी प्रदान की।
दिल्ली से होते हुए 8 घंटे की यात्रा के बाद, श्री आलोक पांडे, उपमंडल अधिकारी, लखनऊ, रेंज अधिकारी, लखनऊ शहर और अरुणिमा सिंह, टीएसए की जीवविज्ञानी ने एयरपोर्ट प्राधिकारियो से उन कछुओं को प्राप्त किया गया।
रवि सिंह, डीएफओ का कहना है कि श्री मनोज सोनकर, सी.एफ एवं श्री अबू अरशद खान, वन्यजीव वार्डन के निर्देशन में इन कछुओं का कुकरैल घड़ियाल केंद्र में जलीय जीव विज्ञान के प्रयोगशाला में 29 दिनों के लिए स्वास्थ्य आकलन करने हेतु क्वारेटाइन किया जाएगा तथा अक्टूबर के मध्य में लखनऊ जिले के भीतर गोमती नदी में सुरक्षित विमोचित किया जायेगा।
टीएसए इंडिया, लखनऊ के निदेशक डॉ शैलेंद्र सिंह ने कहा कि कछुओं की ये प्रजाति सुन्दर दिखते हैं इसलिये इनको घरों में पालने हेतु अवैध रूप से व्यापार हेतु पकड़ा जाता है। दोनों प्रजातियां गोमती नदी और तथा उनसे संबंधित आर्द्रभूमि में पाई जाती हैं। इन दोनों प्रजाति के कछुवें, धीमें बहाव वाली नदी तथा उसके पास के झीलों में रहना पसन्द करती हैं।
सुश्री अरुणिमा सिंह का कहना है कि टेक्टा भारत वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 से संबंधित है। इस तरह का पहला प्रत्यावर्तन 2015 में उत्तर प्रदेश वन विभाग और टीएसए द्वारा किया गया था, जब दोनों संगठनों ने मिल कर महाराष्ट्र से 500 से अधिक चित्तीदार कछुओं (भूतकाठा) को उनके प्राकृतिक वास में पुनर्वासित किया था।
श्री पीके शर्मा का कहना है कि इस तरह के साहसिक निर्णय और राज्यों के बीच सौहार्दपूर्ण प्रयासों द्वारा बचाए गए वन्यजीवों को समय पर वापस लाने का एक अच्छा उदाहरण है। उन्होंने तेलंगाना वन विभाग (टीएफडी) के सभी अधिकारियों विशेष रूप से पीसीसीएफ तथा सुश्री शोभा को आवश्यक सहयोग के लिए धन्यवाद दिया एवं अवध डिवीजन और टीएसए इंडिया के संयुक्त प्रयास से किये गये इस कार्य हेतु उन्हें बधाई दिया।