कानपुर: साइबर अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ रहा था और देखा गया कि अपराध करने वाले अधिकांश लोग उच्च तकनीक डिग्री धारी होते हैं। इसको रोकने के लिए पुलिस अधिकारियों ने भी उच्च तकनीक डिग्री धारी कर्मियों को टास्क दिया। कमिश्नरेट लागू होने के बाद इस पर और तेजी से कार्य हुआ, जिसका परिणाम रहा कि साइबर अपराधियों की कानपुर में रीढ़ टूटने लगी और एक वर्ष में 1.33 करोड़ रुपया पीड़ितों को वापस कराया गया। यही नहीं अब हर थाने में उच्च तकनीक धारी कर्मी साइबर सारथी के रुप में तैनात हो गये हैं जो पीड़ित की शिकायत पर फौरन बैंक खाते को फ्रीज भी करा रहे हैं।

साइबर अपराध को रोकना पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है और देखा जा रहा है कि यह अपराध टेक्निकल मांइड वाला व्यक्ति ही कर रहा है। ऐसे में पुलिस भी हाइटेक हो रही है और कानपुर में कमिश्नरेट लागू होने के बाद से इस पर खास ध्यान दिया गया। यहां पर उन सिपाहियों को चिन्हित किया गया जो बीटेक और एमसीए डिग्री धारी हैं और उनको साइबर अपराध रोकने के लिए जिम्मेदारी सौंपी गईं। इसके अलावा साइबर सेल कई बड़े तकनीकी संस्थानों से भी मदद ले रहा है। कमिश्नरेट के सभी थानों में बीटेक, बीसीए और एमसीए डिग्री धारी सिपाहियों की तैनाती दी गई है जो पीड़ित की शिकायत पर फौरन उसके तुरंत संबंधित बैंक व कंपनियों को ईमेल भेजकर खातों से हो रहा ट्रांजेक्शन रुकवाते हैं, जिससे साइबर अपराधियों की कमर टूट रही है। अब फर्जी आईपी (इंटरनेट प्रोटोकाल) एड्रेस व आईडी के पीछे छिपे अपराधी भी सलाखों के पीछे भेजे जा रहे हैं। यही नहीं इन्ही उच्च तकनीक धारी सिपाहियों की बदौलत हाल ही में नाइजीरियन गैंग से लेकर कई बड़े साइबर ठग सलाखों की पीछे पहुंच सके।
साइबर प्रयोगशाला बनने से आएगी तेजी
अपर पुलिस आयुक्त आनंद प्रकाश तिवारी ने मंगलवार को बताया कि साइबर अपराध को रोकने के लिए बराबर प्रयास किया जा रहा है। इस पर और तेजी लाने के लिए शहर में रेंज की साइबर प्रयोगशाला भी बनाने की तैयारी हो रही है। इस लैब के बनने के बाद उन तमाम इलेक्ट्रानिक उपकरणों की जांच भी आसानी से हो सकेगी, जिनके लिए अभी लखनऊ या अन्य प्रयोगशालाओं पर निर्भर होना पड़ता है।
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1.33 करोड़ रुपये हुए वापस
कमिश्नरेट में आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि, इस वर्ष पुलिस ने साइबर ठगों के सात गिरोहों का पर्दाफाश किया और दो दर्जन अपराधियों को जेल भेजा। इस वर्ष करीब 50 अन्य ठगों के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की जा चुकी है। इस वर्ष करीब 300 लोगों के खातों से निकले 1.33 करोड़ रुपये वापस मिल चुके हैं। 40 अन्य पीडि़तों के खातों की रकम अपराधियों के खातों में होल्ड है, जिसे वापस दिलाने की कोशिश की जा रही है। पिछले वर्ष से लेकर अब तक 180 मामलों में पुलिस ने अपराधियों को चिह्नति करके कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है।
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