कोलकाता। हजारों करोड़ रुपये के सारदा चिटफंड घोटाले के मामले में मुख्य आरोपितों में से एक देवयानी मुखर्जी को आखिरकार कलकत्ता हाईकोर्ट से आज जमानत मिल गई है। वह सारदा प्रमुख सुदीप्त सेन की सहयोगी रही हैं। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में थी और सुदीप्त की पार्टनर भी थीं। यहां से जमानत मिलने के बाद भी देवयानी की रिहाई नहीं होगी। उनके खिलाफ असम व ओडिशा में अभी भी इसी मामले को लेकर सुनवाई चल रही है।
सारदा चिटफंड मामले में वर्ष 2013 में गिरफ्तार हुई थी देवयानी
दरअसल, सारदा चिटफंड मामले में आरोपित देवयानी के खिलाफ आरोपों पर सुनवाई पहले ही पूरी हो गई थी। गत 16 जून को ही हाई कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि मामले में सुनवाई पूरी हो गई है। उस दिन उनकी जमानत को लेकर कार्यकारी न्यायाधीश राजेश बिंदल की खंडपीठ ने फैसले को सुरक्षित रख लिया था। शनिवार को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने देवयानी की जमानत को स्वीकार कर लिया है। हालांकि यह जमानत केवल बंगाल से संबंधित मामले में दी गई है। असम व ओडिशा के भुवनेश्वर में अभी भी सारदा मामले को लेकर आरोपों पर सुनवाई चल रही है, इसलिए उन्हें जेल से रिहा नहीं किया जाएगा।
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कोर्ट में 15 जून को देवयानी की जमानत को लेकर हुई सुनवाई के दौरान सीबीआई ने विरोध किया था, जिसे न्यायालय ने तरजीह नहीं दी। न्यायालय ने जांच एजेंसी के आवेदन को लेकर भी असंतोष जाहिर किया था। गौर हो कि 2013 में सारदा चिटफंड मामले में सुदीप्त सेन और उसकी महिला सहयोगी देवयानी को कश्मीर के एक होटल से गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद से दोनों जेल में हैं।