देश में फैले कोरोना संकट के बीच मध्य प्रदेश की सत्तारूढ़ शिवराज सिंह चौहान सरकार बड़ी मुसीबत में फंसती नजर आ रही है। दरअसल, सूबे की जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल को अवैध करार दिए जाने और 5 मेडिकल कौजेल के जूनियर डॉक्टर को बर्खास्त किये जाने के बाद सूबे के जूनियर डॉक्टर्स ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जूनियर डॉक्टर्स के खिलाफ लिए गए इन फैसलों के बाद सूबे के करीब 3 हज़ार जूनियर डॉक्टरों ने एक साथ इस्तीफा दे दिया है।

जूनियर डॉक्टर्स ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा
आजतक न्यूज पोर्टल से मिली जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की सचिव डॉक्टर अंकिता त्रिपाठी ने बताया कि मध्य प्रदेश के करीब 3 हज़ार जूनियर डॉक्टरों ने अपना सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया है। सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी बल्कि सिर्फ भरोसा दिया है इसलिए हमने हड़ताल खत्म नहीं की थी।’
उन्होंने कहा कि हमारी हड़ताल खत्म करवाने के लिए घर पर पुलिस भेजी जा रही है। सरकार बोल रही है कि जूनियर डॉक्टर ब्लैकमेल कर रहे हैं। जबकि ऐसा नहीं है। अगर ब्लैकमेल करना होता तो तब करते जब मरीज़ ज्यादा थे, अब तो मरीज़ भी कम हैं तो ब्लैकमेल क्यों करेंगे। वहीं जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल और उनके सामूहिक इस्तीफे पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि उनकी मांगे माने जाने के बाद भी उनका यह रवैया उनकी हठधर्मिता दिखाता है।
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जूनियर डॉक्टर्स की मांगें
- स्टाइपेंड में 24% बढ़ोत्तरी करके 55000 से बढ़ाकर 68200 एवं 57000 से बढ़ाकर 70680 एवं 59000 से बढ़ाकर 73160 कर दी जाए।
- हर साल वार्षिक 6% की बढ़ोत्तरी भी हमारे बेसिक स्टाइपेंड पर दी जाए।
- पीजी करने के बाद 1 साल के ग्रामीण बॉन्ड को कोविड की ड्यूटी के बदले हटाने के लिए एक कमेटी बनाई जाए।
- कोविड ड्यूटी में काम कार्यरत हर जूनियर डॉक्टर को 10 नंबर का एक गजटेड सर्टिफिकेट मिलेग जो आगे उसको सरकारी नौकरी में फायदा प्रदान करेगा।
- समस्त जूनियर डॉक्टर जो कि कोविड में काम कर रहे हैं उनको और उनके परिवार के लिए अस्पताल में अलग से एक एरिया और बेड रिजर्व किया जाए एवं उनके उपचार के लिए प्राथमिकता दी जाए उस समय मौजूद सारे उचित उपचार उनके लिए मुहैया फ्री ऑफ कॉस्ट कराया जाए।
- जितने जूनियर डॉक्टर कोविड ड्यूटी में कार्यरत हैं उनका अधिक कार्यभार देखते हुए उन्हें उचित सुरक्षा मुहैया कराई जाए।?
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