महाराष्ट्र में आगामी उप-चुनाव के लिए इलेक्शन कमीशन ने शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट को “जलती मशाल” का चुनाव चिन्ह आवंटित किया है। हालांकि, शिंदे गुट को अभी तक चुनाव चिन्ह नहीं मिला है। उनके खेमे को कल तक संभावित प्रतीकों की नई सूची सौंपने के लिए कहा गया है। पहले गुटों ने चुनाव चिन्ह के लिए त्रिशूल और गदा की मांग की थी, जिसे धार्मिक अर्थों का हवाला देते हुए खारिज कर दिया गया था। इसके बाद “उगते सूरज” की भी मांग की गई, लेकिन चुनाव आयोग ने इसे द्रमुक का चिन्ह बताया था।
चुनाव आयोग ने बताया कि जलती हुई मशाल चुनाव चिन्ह पहले समता पार्टी को आवंटित किया गया था, जिसकी साल 2004 में मान्यता रद्द कर दी गई थी। इसके बाद से यह चुनाव चिन्ह किसी के पास नहीं था। आयोग ने कहा कि उसने ठाकरे गुट के अनुरोध पर इस चिन्ह को फ्री सिंबल की लिस्ट में सूचीबद्ध करने का निर्णय लिया था।
‘जलती मिशाल’ चुनाव चिन्ह से शिवसेना का पुराना नाता
शिवसेना का जलती मिशाल चिन्ह से पुराना नाता है। पार्टी ने इस चिन्ह पर 1985 में चुनाव जीता था। उस वक्त पार्टी के पास कोई समर्पित चुनाव चिन्ह नहीं था। सातवीं महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के एकमात्र विधायक छगन भुजबल ने मझगांव निर्वाचन क्षेत्र से जलती मशाल चिन्ह पर जीत हासिल की थी। उस वक्त पार्टी का कोई समर्पित चुनाव चिन्ह नहीं था इसलिए पार्टी के उम्मीदवारों ने अलग चिन्हों पर चुनाव लड़ा था। भुजबल ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “मैंने जलती मशाल को चुना था क्योंकि यह क्रांति का प्रतीक था और इसने महाराष्ट्र के लोगों को एक नया रास्ता दिखाया।” 1985 के चुनाव को याद करते हुए भुजबल ने कहा कि उस समय चुनाव प्रचार काफी हद तक दीवार पेंटिंग पर आधारित था और मशाल बनाना आसान था।
उन्होंने कहा कि उस समय चुनाव लड़ने के लिए इतने पैसे नहीं होते थे इसलिए उन्होंने खुद भी वॉल पेंटिंग कर अपना चुनाव चिन्ह बनाया था। उन्होंने कहा कि उनके चिन्ह ने लोगों को आकर्षित किया और ऐतिहासिक जीत दिलाई। हालांकि, भुजबल अब नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। उन्होंने कहा, “मुझे यकीन है कि उद्धव ठाकरे गुट फिर उस जीत को दोहराएगा और जलती मशाल प्रतीक शिवसेना को महाराष्ट्र की राजनीति में नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।” शिवसेना को 1989 में “धनुष और तीर” समर्पित चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया था।
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बता दें कि शिवसेना के दोनों गुटों को सोमवार को चुनाव आयोग से नए नाम मिले हैं। उद्धव गुट को “शिवसेना – उद्धव बालासाहेब ठाकरे” और ‘बालासाहेबंची शिवसेना’ (बालासाहेब की शिवसेना) नाम एकनाथ शिंदे खेमे को दिया गया है।