उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव नजदीक हैं और इसको लेकर दावेदार अपनी दावेदारी मजबूत करने जुटे हैं। पंचायत चुनाव की घोषणा होते ही दावेदारों को तमाम तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। खासकर महिला सीट होने के बाद अविवाहित पुरुषों को जीवन साथी का इंतजाम भी करना पड़ रहा है। वहीं बलिया जिले के मुरलीछपरा ब्लॉक के ग्राम पंचायत शिवपुर कर्णछपरा का एक दिलचस्प मामला सामने आया है।
आरक्षण में गांव की प्रधानी सीट महिला हुई तो आनन फानन में एक दावेदार ने बिना शुभ मुहर्त का इंतजार किए शादी रचा ली। विकास खंड मुरलीछपरा के ग्राम पंचायत शिवपुर कर्णछपरा निवासी जितेंद्र सिंह हाथी पिछले कई सालों से ग्राम प्रधान पद को लेकर तैयारी में जुटे थे। इन्हें पूरी उम्मीद थी कि इनके पंचायत के मतदाता इस बार इन्हें प्रधान पद के लिए अवश्य चुनेंगे
इसी बीच जब आरक्षण का निर्धारण किया गया तो इस ग्राम पंचायत का प्रधान पद महिला के लिए आरक्षित घोषित हो गया। चूंकि जितेंद्र सिंह अविवाहित थे, लिहाजा इनकी मुकिश्लें बढ़ गईं, उनका पूरा दांव ही विफल होने की स्थिति में आ गया। उनके समर्थकों ने उन्हें शादी करने का सुझाव दिया तो वह तैयार हो गए।
इसकी जानकारी उनके रिश्तेदारों को हुई तो एक रिश्तेदार ने बिहार के छपरा जिले के नेवतरी (खलपुरा ) गांव निवासी राजेन्द्र सिंह की पुत्री निधि सिंह से शादी तय करा दी। इतना ही नहीं किसी तरह का पेंच न फंसे यह देख शादी भी आनन-फानन में बीते 26 मार्च को छपरा जनपद में स्थित धर्मनाथ मंदिर में अपने नजदीकियों के साथ शादी रचा ली। अब वह अपनी पत्नी निधि सिंह को प्रधान पद पर मजबूती से चुनाव लड़ाने की तैयारी में जुट गए हैं।
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बताया जाता है कि 2015 के पंचायत चुनाव में भी प्रधान पद के उम्मीदवार थे और उपविजेता रहे। जितेंद्र सिंह हाथी ने कहा कि मैंने शादी नहीं करने का संकल्प लिया था और अपना पूरा जीवन समाज के लिए समर्पित कर रखा था। लेकिन आरक्षण के चलते मुझे शादी करनी पड़ी। मेरी 80 वर्षीय वृद्ध मां के होने के कारण यह शादी का मुझे फैसला लेना पड़ा।