गुजरात विधानसभा के पिछले चुनाव में राहुल गांधी ने आक्रामक प्रचार कर भाजपा की मुसीबतें बढ़ा दी थीं। एक समय यह लगने लगा था कि दो दशकों से गुजरात की सत्ता में बैठी भाजपा सत्ता से बाहर हो सकती है। स्वयं प्रधानमंत्री मोदी को गुजरात में कैंप कर चुनाव प्रचार की कमान संभालनी पड़ी थी और भाजपा किसी तरह सत्ता बरकरार रखने में सफल हो पाई थी। लेकिन इस बार राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त हैं और पार्टी के अन्य शीर्ष नेता भी इस यात्रा को सफल बनाने में जुटे हुए हैं। चुनाव में दो महीने से भी कम समय शेष रहने के बाद भी कांग्रेस अब तक अपना चुनावी अभियान शुरू नहीं कर पाई है।
कांग्रेस के इस कमजोर चुनावी अभियान के बाद भी भाजपा नेता मानते हैं कि कांग्रेस के पास अभी भी ऐसा ‘सीक्रेट प्लान’ है जिससे वह भाजपा की उम्मीदों को चोट पहुंचा सकती है। पीएम नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के इसी सीक्रेट प्लान के बारे में भाजपा कार्यकर्ताओं को सावधान रहने के लिए चेतावनी दी और उन्हें मजबूती से लोगों से संपर्क बनाने के लिए कहा। पार्टी ने ग्रामीण मतदाताओं, विशेषकर आदिवासियों से संपर्क स्थापित करने के लिए कहा है।
क्या है कांग्रेस का ‘सीक्रेट प्लान’?
भाजपा नेताओं का मानना है कि बड़े नेताओं की अनुपस्थिति में बड़ी रैलियां आयोजित न करने के बाद भी कांग्रेस का चुनावी अभियान निचले स्तर पर काफी तेजी के साथ चल रहा है। विशेषकर ग्रामीण और आदिवासी समुदायों के बीच वह लगातार पैठ बना रही है। कांग्रेस ने एक रणनीति के अंतर्गत गुजरात के सभी लोकसभा क्षेत्रों के लिए विशेष प्रभारियों की नियुक्ति कर इसी रणनीति को आगे बढ़ाया था। जुलाई में प्रदेश में पार्टी में सात कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर भी हर समुदाय और हर वर्ग को साधने की कोशिश की गई थी।
भाजपा की चिंता यह भी है कि कांग्रेस इस चुनाव में एक ‘गुप्त’ एजेंडे पर काम कर सकती है। इसमें वह उन विधानसभा क्षेत्रों में मजबूती से चुनाव लड़ेगी, जहां उसकी जीत की संभावनाएं प्रबल हैं, लेकिन जहां उसकी जीतने की संभावनाएं कमजोर हैं, वहां अपना चुनाव प्रचार कमजोर रखकर, ऐसे दलों को आगे बढ़ने का अवसर दे सकती है, जो भाजपा के सामने जीत सकने की स्थिति में होंगे। भाजपा की असली चिंता यही है क्योंकि ऐसी स्थिति में गैर भाजपाई वोट नहीं बंटेंगे और अन्य दलों की जीत का रास्ता साफ़ हो सकता है।
आरोप यही लगाए जाते हैं कि पिछले दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने यही रणनीति अपनाई थी, जिसके कारण कांग्रेस का तो नुकसान हुआ, लेकिन भाजपा सत्ता से बहुत दूर रह गई। पीएम मोदी और अमित शाह के आक्रामक प्रचार के बाद भी 70 सीटों वाले सदन में भाजपा केवल आठ सीटों पर सिमट कर रह गई। हालांकि, कांग्रेस नेता इसे भाजपा द्वारा फैलाया जा रहा दुष्प्रचार बताते हैं।
दीपावली से करेंगे आक्रामक चुनाव प्रचार- कांग्रेस
गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अर्जुन भाई मोडवाडिया ने अमर उजाला को बताया कि उनका चुनाव प्रचार जमीनी स्तर पर लगातार जारी है। दीपावली के साथ ही कांग्रेस राज्य में आक्रामक चुनाव प्रचार की शुरुआत करेगी। इसकी शुरुआत दूसरे चरण के ‘सघन जनसंपर्क अभियान’ से की जाएगी। इस 12 दिवसीय कार्यक्रम में पार्टी के केंद्रीय नेता भी शामिल होंगे। सोनिया गांधी के साथ और अन्य वरिष्ठ नेताओं के कार्यक्रम भी बनाए जा रहे हैं, जिसे शीघ्र अंतिम रूप दे दिया जाएगा। पार्टी को एक हफ्ते के अंदर नया अध्यक्ष मिल जाएगा। उन्हें भी यहां चुनाव प्रचार में उतारा जाएगा।
अर्जुन भाई मोडवाडिया ने आरोप लगाया कि भाजपा के 27 साल के शासन में गुजरात में कोई काम नहीं हुआ, यही कारण है कि जनता में भाजपा के प्रति जबर्दस्त नाराजगी है। मोदी-शाह इस नाराजगी को भांप रहे हैं, यही कारण है कि इस बार वे स्थानीय चुनाव की तरह यहां चुनाव प्रचार कर रहे हैं और छोटी-छोटी चीजों के उद्घाटन-लोकार्पण के बहाने हर दो-चार दिन में यहां का चुनाव प्रचार करने आ रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस इस विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करेगी।
कांग्रेस को नहीं मिल रहा अपेक्षित प्रचार
मोडवाडिया ने बताया कि जिस दिन पीएम नरेंद्र मोदी ने भरूच में जनसभा की, उसी दिन पोरबंदर में कांग्रेस ने उनसे बड़ी जनसभा आयोजित की। इसके बाद भी कांग्रेस के प्रयासों को मीडिया में अपेक्षित जगह नहीं मिली, जबकि पीएम की उपस्थिति के कारण भाजपा का अपेक्षित तौर पर छोटा कार्यक्रम भी मीडिया की सुर्खियां बनने में कामयाब रहा। उन्होंने कहा कि केवल मीडिया के दम पर बनाई गई विकास की नकली छवि दरक चुकी है। विकास के लिए लोगों को अब केवल कांग्रेस से उम्मीद है क्योंकि कांग्रेस ने अपने पिछले शासन में यह करके दिखाया है। कांग्रेस लोगों की इसी आशाओं-उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए तैयार है।