वातावरण में हवाओं की दिशाएं बदलने से उत्तर प्रदेश में मौसमी गतिविधियों में प्रतिकूल असर पड़ गया है। इससे दक्षिण पश्चिम मानसून कमजोर पड़ गया है और तेज बारिश के आसार कम हो गये हैं। हालांकि स्थानीय स्तर पर नमी के चलते हल्की बारिश होती रहेगी। मौसम विभाग का कहना है तीन से चार दिन बाद हवाओं की दिशाओं में परिवर्तन होगा तभी एक बार फिर मानसून सक्रिय होकर बारिश करेगा।
चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डा. एसएन सुनील पाण्डेय ने शुक्रवार को बताया कि हवाओं की दिशाएं बदलने से दक्षिण पश्चिम मानसून कमजोर हुआ है। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से निकली नमी युक्त हवा बांग्लादेश की ओर जा रही है, जिससे उत्तर प्रदेश में तेज बारिश के आसार कम हैं।
यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश के जिन इलाकों में वातावरण में पर्याप्त नमी हैं वहां पर स्थानीय स्तर पर बादलों की गरज के साथ हल्की से मध्यम बारिश होती रहेगी। इन दिनों में आसमान में धूप के साथ बदली छाई रहेगी और तेज हवाएं चलने की संभावना है। करीब चार दिन बाद हवाओं की दिशाएं बदलने से एक बार फिर समुद्र की नमी हवाएं उत्तर प्रदेश की ओर रुख करेंगी और दक्षिण पश्चिम मानसून सक्रिय हो जाएगा। जब तक तेज बारिश नहीं होगी तब तक वातावरण में आर्द्रता का स्तर कम हो जाएगा और अधिकतम के साथ न्यूनतम तापमान में बढ़ोत्तरी होगी।
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इस तरह है मौसमी सिस्टम
मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि मानसून की ट्रफ रेखा गंगानगर, नारनौल, उत्तर पश्चिम मध्य प्रदेश के ऊपर निम्न दबाव के क्षेत्र के केंद्र से गुजरती हुई, वाराणसी, गया, बांकुरा और फिर दक्षिण पूर्व की ओर बंगाल की उत्तरी खाड़ी की ओर जा रही है। कम दबाव का क्षेत्र उत्तर पश्चिमी मध्य प्रदेश और आसपास के इलाकों पर बना हुआ है। इसका संबद्ध चक्रवाती परिसंचरण औसत समुद्र तल से 5.8 किलोमीटर तक फैला हुआ है। बंगाल की के उत्तरी भागों के ऊपर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र औसत समुद्र तल से 5.8 किलोमीटर ऊपर तक फैला हुआ है। पश्चिमी विक्षोभ एक चक्रवाती परिसंचरण के रूप में उत्तरी पाकिस्तान पर देखा जा सकता है।