मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किसानों को हिंसा के लिए भड़काते हुए केंद्र की मोदी सरकार को धमकी दी है। उन्होंने कहा कि अगर किसानों की माँगें नहीं मानी गईं तो वो उन्हें मनवाने के लिए हिंसा का रास्ता अपना सकते हैं। उन्होंने कहा, “दिल्ली को मेरी सलाह है कि उनके साथ न भिड़े, वे खतरनाक लोग हैं। किसानों का मुद्दा उठाने के कारण मुझे अपना राज्यपाल का पद खोने का कोई डर नहीं है। किसान जो चाहते हैं, उसे हासिल कर के रहेंगे।”
सत्यपाल मलिक ने सार्वजनिक रूप से कहा कि अगर किसानों को लड़ कर उन्हें जो चाहिए वो नहीं मिला, तो फिर वो हिंसा के माध्यम से ले लेंगे। बता दें कि दिल्ली की सीमाओं को घेर तक एक साल तक चले उपद्रव के बाद केंद्र सरकार ने कृषि सुधर की दिशा में आए तीनों कानूनों को वापस ले लिया था। सत्यपाल मलिक ने कहा कि किसानों का मुँह बंद नहीं किया जा सकता, क्योंकि उन्हें पता है कि उन्हें अपनी माँगें कैसे मनवानी है।
साथ ही उन्होंने माँगें न मानने पर दोबारा ‘किसान आंदोलन’ के शुरू होने की धमकी भी दी। साथ ही उन्होंने कहा कि जब भी वो किसानों के मुद्दे उठाते हैं तो उन्हें आशंका रहती है कि कभी भी दिल्ली से फोन आ सकता है। उनका आशय राज्यपाल पद से उन्हें हटाए जाने की संभावना को लेकर था। सत्यपाल मलिक ने खुद के दिल्ली में डेढ़ कमरे के मकान में रहने का दावा करते हुए कहा कि वो किसानों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पंगा ले सकते हैं।
साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से उनकी कोई दुश्मनी नहीं है, लेकिन किसानों के लिए वो अपना पद छोड़ने के लिए तैयार हैं। उन्होंने अपने इस दावे को भी दोहराया कि जब वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे तो मात्र 5 मिनट में ही उनसे लड़ाई हो गई थी। जोधपुर में मारवाड़ जाट महासभा के एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुँचे मेघालय के राज्यपाल ने कहा कि जाट और सिख कुछ नहीं भूलते, आपको उन्हें कुछ देकर भेजना चाहिए था।
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उन्होंने परोक्ष रूप से इंदिरा गाँधी और जनरल वैद्य की हत्याओं की याद दिलाई। इससे पहले भी वो दोनों का नाम लेकर ऐसा कह चुके हैं। इससे पहले उन्होंने कहा था, “इतने किसानों की मौत हो गई, इसके बाद भी कोई शोक संदेश नहीं आया है। हम माँग लेते हैं तो भिखमंगा समझ लेते हैं। यह सरकार हमारी नहीं है। मोदी गुजरात में थे, तब MSP (मैक्सिमम सपोर्ट प्राइस) पर चिट्ठी लिखी थी। अब दिल्ली ने उनको खराब कर दिया। दिल्ली जगह ही ऐसी है। दिल्ली जाने के बाद वह बदल गए।”