इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के व्यवसाय कर विभाग के अधिकारियों की व्यापारियों के साथ मनमानी व अवैध कार्रवाई पर तीखी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि एक तरफ तो सरकार प्रदेश में सुगम व निर्बाध व्यवसाय का माहौल बनाने में जुटी है, तो दूसरी तरफ अधिकारी अपनी सनक व सीमाओं में जकड़े हुए व्यापारियों को परेशान करने में लगे हैं और सरकार के सुगम व्यवसाय की नीति पर पानी फेर रहे हैं। इस पर नियंत्रण किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने वाराणसी के व्यापार कर विभाग की कार्रवाई को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है और राज्य सरकार पर 20 हजार रूपए हर्जाना लगाया है। तथा निर्देश दिया है कि सरकार इस हर्जाना राशि को चाहें तो दोषी अधिकारी से वसूल करे।
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि याची को एक माह में हर्जाने का भुगतान करें और उससे जबरन जमा कराये धन की दो माह में वापसी करें। यह आदेश न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने श्री सूर्या ट्रेडर्स की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
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याचिका के अनुसार वाराणसी में याची का 90 बैग मीठी सुपारी व बीटल नट प्रोडक्ट गलत तरीके से सही कागजात होने के बाद भी विभागीय अधिकारी ने जब्त कर लिया था। याची की इस आदेश के खिलाफ अपील भी निरस्त हो गई थी। दोनों आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने दोनों आदेशों को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने इस आदेश की प्रति चीफ सेक्रेटरी व कमिश्नर व्यापार कर को भी भेजने का निर्देश दिया है।