सहकार भारती उत्तर प्रदेश ने नई सहकारी नीति 2025 का किया स्वागत

  • प्रदेश कार्यालय में आयोजित हुई विशेष बैठक में संगठन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार सिंह, प्रदेश महामंत्री अरविंद दुबे एवं प्रदेश उपाध्यक्ष डी.पी. पाठक समेत कई अधिकारी मौजूद रहे।

लखनऊ, सरकारी मंथन संवाददाता । सहकार भारती उत्तर प्रदेश के प्रदेश कार्यालय, लखनऊ में आज शनिवार को एक विशेष बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा घोषित नई सहकारी नीति 2025 पर चर्चा की गई। इस बैठक में संगठन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार सिंह, प्रदेश महामंत्री अरविंद दुबे एवं प्रदेश उपाध्यक्ष डी.पी. पाठक समेत कई वरिष्ठ पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए डॉ. अरुण कुमार सिंह ने कहा, भारत में पहली राष्ट्रीय सहकारी नीति वर्ष 2002 में लागू हुई थी, जिसके बाद बहुराज्यीय सहकारी समिति अधिनियम 2002 भी अस्तित्व में आया। वर्षों से इस आंदोलन में उतार-चढ़ाव आते रहे। अब देश की समावेशी आर्थिक संरचना को सशक्त करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने 24 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में द्वितीय राष्ट्रीय सहकारी नीति को राष्ट्र को समर्पित किया।

उन्होंने आगे कहा कि यह नीति देश के गांव, गरीब, किसान, महिला और उद्यमशील युवाओं के लिए नई दिशा और ऊर्जा प्रदान करेगी। सहकार भारती उत्तर प्रदेश इस ऐतिहासिक पहल का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के कुशल नेतृत्व को साधुवाद देती है।

इस अवसर पर प्रदेश महामंत्री श्री अरविंद दुबे ने नई सहकारी नीति के मुख्य उद्देश्यों की जानकारी दी जो इस प्रकार है।

  1. सहकारी क्षेत्र का जीडीपी में तीन गुना योगदान सुनिश्चित करना।
  2. सहकारी समितियों की संख्या में 30% की वृद्धि।
  3. 50 करोड़ नए एवं निष्क्रिय सदस्यों को सक्रिय कर समितियों से जोड़ना।
  4. हर गांव में कम से कम एक सहकारी समिति की स्थापना।
  5. हर तहसील में नाबार्ड के सहयोग से एक मॉडल सहकारी गांव की स्थापना।
  6. युवाओं की भागीदारी, रोजगार सृजन, तकनीकी समावेशन और प्रशिक्षण के लिए स्पष्ट रोडमैप।

श्री दुबे ने कहा कि यह नीति न केवल आर्थिक विकास को गति देगी, बल्कि सहकारी आंदोलन को भी मजबूती प्रदान करेगी।

बैठक में लखनऊ महानगर एवं जिला इकाई के कई वरिष्ठ कार्यकर्ता भी मौजूद रहे, जिनमें कैलाश नाथ निषाद, शिवेंद्र प्रताप सिंह, सुरेंद्र सिंह चौहान, सतीश कुमार दीक्षित एवं डॉ. सत्येंद्र त्रिपाठी प्रमुख थे।