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शादी में दुल्हन ही पहले क्यों पहनाती है वरमाला? जानिए इस रस्म के पीछे छिपा धार्मिक संकेत और वैवाहिक संदेश

नई दिल्ली: शादी का मौसम दस्तक देने वाला है और देशभर में हजारों जोड़े नए जीवन की शुरुआत के लिए तैयार हैं। घरों में शहनाइयों की गूंज के साथ शादी की रस्में निभाने की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। भारतीय विवाह परंपराओं में हर रस्म का अपना अलग धार्मिक और भावनात्मक महत्व होता है। इन्हीं परंपराओं में से एक है वरमाला की रस्म, जिसे फेरे से पहले निभाया जाता है।

इस रस्म में सबसे पहले दुल्हन द्वारा दूल्हे के गले में वरमाला डाली जाती है। अक्सर लोगों के मन में सवाल उठता है कि आखिर दुल्हन ही पहले वरमाला क्यों पहनाती है? इस पर रोहिणी, दिल्ली के पंडित जन्मेश द्विवेदी बताते हैं कि हिंदू धर्म में विवाह को सबसे पवित्र संस्कार माना गया है। मान्यता है कि विवाह के समय दूल्हा भगवान शिव और दुल्हन माता पार्वती का स्वरूप होते हैं। इसलिए हर रस्म विशेष नियम और भाव के साथ निभाई जाती है।

पंडित जन्मेश द्विवेदी के अनुसार, वरमाला की रस्म में दुल्हन का पहले वर को माला पहनाना इस बात का प्रतीक है कि विवाह में वधु की सहमति सर्वोपरि होती है। दुल्हन पहले अपने जीवनसाथी को स्वीकार करती है, उसके बाद दूल्हा वरमाला पहनाकर वधु को अपनाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस रस्म में मंगल और शुक्र ग्रह का शुभ प्रभाव भी जुड़ा होता है, जो दांपत्य जीवन में प्रेम, सुख और समृद्धि लाता है।

वरमाला का वैवाहिक जीवन पर प्रभाव

  • दुल्हन द्वारा पहले वरमाला पहनाना शुभ विवाह योग का संकेत माना जाता है।
  • इससे पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और आपसी समझ मजबूत होती है।
  • यह रस्म अहंकार को त्यागकर रिश्ते को प्राथमिकता देने की सीख देती है।
  • ‘मैं’ से ज्यादा ‘हम’ की भावना को जीवन में अपनाने का संदेश देती है।

वरमाला के पीछे छिपे प्रतीकात्मक अर्थ
वरमाला केवल फूलों की माला नहीं, बल्कि कई गहरे संकेतों से जुड़ी होती है।

  • दुल्हन का पहले वरमाला पहनाना यह दर्शाता है कि वह पूरे मन से अपने जीवनसाथी को स्वीकार कर रही है।
  • यह संकेत देता है कि आगे का जीवन आपसी सम्मान और समझ के साथ जिया जाएगा।
  • वरमाला इस बात का भी प्रतीक है कि पति-पत्नी का रिश्ता बराबरी और सहयोग पर आधारित होगा।

क्यों जरूरी है इस रस्म का महत्व समझना?
वरमाला की रस्म सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि सफल और सुखी वैवाहिक जीवन की नींव मानी जाती है। जब इस रस्म को उसके वास्तविक अर्थ और भावना के साथ निभाया जाता है, तो दांपत्य जीवन और भी मधुर बनता है। इसलिए शादी के दौरान इस परंपरा के महत्व को समझना और उसे सम्मानपूर्वक निभाना बेहद जरूरी है।