काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के लिए गौरव का पल है। विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत डॉ. कोमल वर्मा एक सूक्ष्म जीवाश्म वैज्ञानिक के रूप में अटलांटिक महासागर में अंतरराष्ट्रीय महासागर खोज कार्यक्रम (आईओडीपी) अभियान 397 में शामिल होगी। समुद्र विज्ञान विशेषज्ञों के अंतरराष्ट्रीय समूहों में शामिल जेआरएसओ, आईओडीपी ने डॉ कोमल को चयनित किया है। अक्टूबर-दिसंबर, 2022 के दौरान दो महीने के लिए अंतर्राष्ट्रीय महासागर खोज कार्यक्रम में डॉ कोमल वर्मा ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी, जापान, चीन सहित 17 देशों के अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के साथ कार्य करेंगी।
डॉ कोमल भारत का प्रतिनिधित्व जॉइड्स रिजॉल्यूशन में शोध कार्य करने में करेंगी। डॉ कोमल अंतरराष्ट्रीय टीम समुद्री ऊर्जा संसाधनों की संभावनाओं का पता लगाने के लिए शोध करेगी। इस अभियान में डॉ कोमल की भागीदारी प्रख्यात शिपबोर्ड वैज्ञानिकों के साथ अंतरराष्ट्रीय सहयोग द्वारा विश्वविद्यालय और राष्ट्र को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर समुद्र विज्ञान में उन्नत अनुसंधान और शिक्षण के लिए एक अभूतपूर्व अवसर प्रदान करेगी।
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बताते चलें कि बीएचयू का भूविज्ञान विभाग की समुद्र विज्ञान तथा सूक्ष्म जीवाश्म विज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत यह प्रयोगशाला पिछले कई हजार वर्षों में पृथ्वी पर वैश्विक रूप से हुए सामुद्रिक एवं जलवायु परिवर्तन एवं इस परिवर्तन का सामुद्रिक विकास तथा सामुद्रिक जीवों पर पड़ने वाले प्रभाव के अध्ययन का केंद्र रहा है। देश-विदेश में ख्याति प्राप्त इस केंद्र में पिछले कई वर्षों से प्रो. अरुण देव सिंह की देखरेख में आईओडीपी के कई कार्यक्रम चल रहे हैं। प्रो. अरुण देव सिंह ने कई आईओडीपी अनुसंधान कार्यक्रमों का प्रतिनिधित्व करके न केवल अपने विश्वविद्यालय के लिए बल्कि देश के लिए भी एक गौरवशाली इतिहास बनाया है। अब उनकी शोध छात्रा रह चुकी डॉ. वर्मा ने गौरवशाली परम्परा को जारी रखा है। डॉ. वर्मा चयन को अपने शोध कार्य को महान ऊंचाइयों को प्राप्त करने की दिशा में अपना पहला कदम समझती है। डॉ वर्मा का चयन न केवल उनके लिए बल्कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के लिए भी एक बड़ा सम्मान है, क्योंकि आईओडीपी दुनिया में सबसे प्रतिष्ठित और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो उन्नत महासागर अनुसंधान और तकनीकी रूप से सबसे उन्नत शोध पोत की ओर निर्देशित है। इसमें भाग लेने वाले वैज्ञानिकों का चयन समुद्री विज्ञान के विशेषज्ञों के अंतरराष्ट्रीय समूहों में से किया जाता है।