भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और देपसांग मैदानों में दो टकराव बिंदुओं से सैनिकों को पीछे हटाना शुरू कर दिया है। यह प्रक्रिया पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा ( एलएसी ) पर गश्त और सैनिकों की वापसी पर दोनों देशों के बीच हुए समझौते के बाद शुरू हुई है। इस समझौते को दोनों देशों के बीच चार साल से चल रहे गतिरोध को खत्म करने में एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि डेमचोक और देपसांग मैदानों में दो टकराव बिंदुओं पर सैनिकों की वापसी शुरू हो गई है।
भारत और चीन कर रहे समझौतों का पालन
एक अन्य सूत्र ने बताया कि भारत और चीन के बीच हुए समझौतों का पालन करते हुए भारतीय सैनिकों ने इन क्षेत्रों में अपने उपकरणों को पीछे की ओर ले जाना शुरू कर दिया है।
जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद भारत और चीन के बीच संबंधों में खटास आ गई थी, जो दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 21 अक्टूबर को दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि पिछले कई हफ्तों की बातचीत के बाद समझौते को अंतिम रूप दिया गया और इससे 2020 में उठे मुद्दों का समाधान निकलेगा।
23 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस के कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान अपनी द्विपक्षीय बैठक के दौरान पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गश्त और पीछे हटने के समझौते का समर्थन किया था।
पूर्वी लद्दाख विवाद पर नई दिल्ली के लगातार रुख का जिक्र करते हुए विक्रम मिस्री ने द्विपक्षीय बैठक के बाद कज़ान में मीडिया ब्रीफिंग में कहा था कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता की बहाली से द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने की राह पर लौटने के लिए जगह बनेगी।
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उन्होंने कहा कि जैसा कि आप सभी जानते हैं, यह बैठक सैनिकों की वापसी और गश्त पर सहमति तथा 2020 में भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में उत्पन्न मुद्दों के समाधान के तुरंत बाद हुई है।