उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा में हुई आठ लोगों की मौत के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान में लिया है। इस मामले पर सुनवाई करते हुए गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार के सामने कई सवाल भी दागे हैं। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एनवी रमना की बेंच ने की। चीफ जस्टिस रमना ने बताया कि दो वकीलों ने मंगलवार को अदालत को एक पत्र लिखा, हमने अपनी रजिस्ट्री को पत्र को जनहित याचिका के रूप में दर्ज करने का निर्देश दिया, लेकिन गलत संचार के कारण उन्होंने इसे एक स्वत: संज्ञान मामले के रूप में दर्ज किया है।
सुप्रीम कोर्ट में योगी सरकार ने दी जानकारी
इस मामले की सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एक एसआईटी का गठन किया गया है और एक एकल सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया गया है, ताकि स्थिति रिपोर्ट भी दाखिल की जा सके। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से स्थिति रिपोर्ट (स्टेटस रिपोर्ट) दाखिल करने को कहा है कि कौन आरोपी हैं, किसके खिलाफ FIR दर्ज की गई है और किन्हें गिरफ्तार किया गया है।
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आपको बता दें कि बीते रविवार को हुई लखीमपुर हिंसा में आठ लोगों को मौत हो गई थी। इन आठ लोगों में चार किसान, दो बीजेपी कार्यकर्ता, एक ड्राइवर और एक पत्रकार शामिल है। इस मामले में CJI एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हेमा कोहली की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच सुनवाई कर रही है।