देश की प्रगति में अनुसंधान की भूमिका अहम : राज्यपाल

देश की प्रगति में अनुसंधान की भूमिका अहम : राज्यपाल

लखनऊ। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अनुसंधान और विकास को राष्ट्र की प्रगति का मूल आधार बताते हुए कहा कि यदि देश को आत्मनिर्भर बनाना है, तो अनुसंधान के क्षेत्र में ठोस और दूरगामी कदम उठाने होंगे। राजभवन द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, राज्यपाल की अध्यक्षता में यहां राजभवन में नीति आयोग द्वारा आयोजित ‘ईज ऑफ डूइंग रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट’ विषय पर दो दिवसीय परामर्श बैठक का समापन हुआ।

पटेल ने अपने सम्बोधन में कहा, अनुसंधान और विकास किसी भी राष्ट्र की प्रगति का मूल आधार होता है। यदि किसी देश को आत्मनिर्भर बनाना है, उसे वैश्विक मंच पर अग्रणी स्थान दिलाना है, तो हमें अनुसंधान के क्षेत्र में ठोस और दूरगामी कदम उठाने होंगे।
उन्होंने कहा,अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में आ रही समस्याओं को चुनौती के रूप में लेने की आवश्यकता है। चुनौतियां ही हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। यदि किसी नीति में कोई बाधा आ रही है, तो उस नीति में आवश्यकतानुसार परिवर्तन किया जाना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि अनुसंधान संस्थानों को पूरी तरह सक्षम, स्वायत्त और परिणामोन्मुखी बनाया जाए, तो इससे न केवल उच्च शिक्षा व्यवस्था सशक्त होगी, बल्कि भारत को वैश्विक अनुसंधान एवं नवाचार केंद्र के रूप में स्थापित करने में भी सफलता मिलेगी।

राज्यपाल ने यह भी कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों को चाहिए कि वे अपने अधीनस्थ अधिकारियों तथा कर्मचारियों के साथ नियमित रूप से बैठक करें, कार्यों की समीक्षा करें और गहराई से विचार-विमर्श करें। उन्होंने कहा,समस्याएं तभी सामने आती हैं जब अधिकारी ज़मीनी स्तर पर जुड़कर कार्य करते हैं और हर पहलू को गंभीरता से समझते हैं। हर फाइल को तुरंत आगे बढ़ाया जाना चाहिए ताकि निर्णय प्रक्रिया में अनावश्यक विलंब न हो। कार्य प्रणाली में पारदर्शिता और गति लाना अत्यंत आवश्यक है।

उन्होंने बताया कि भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को शिक्षा की ओर लाया गया है तथा उन्हीं बच्चों एवं राजभवन उच्च प्राथमिक विद्यालय के बच्चों ने गणतंत्र दिवस परेड में प्रतिभाग कर उत्कृष्ट स्थान प्राप्त किया। राज्यपाल ने नीति आयोग द्वारा इस विषय पर आयोजित परामर्श बैठक की सराहना करते हुए कहा कि यह मंच विभिन्न राज्यों के वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं और प्रशासकों को साथ लाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। चर्चा सत्र में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रमुख शोध संस्थानों के निदेशक एवं अन्य प्रतिनिधियों ने भाग लिया।