पराली और गोबर बदलेगी किसानों की किस्मत, बनेगी आय का जरिया

लखनऊ किसानों की आय दोगुनी करने में अब पराली और गोबर की अहम भूमिका होने जा रही है। इनके जरिए किसानों की आय बढ़ेगी। पराली न जलाने से प्रदूषण से भी मुक्ति मिलेगी। इसके लिए केंद्र सरकार के सहयोग से प्रदेश में 125 कंप्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) प्लांट लगाए जा रहे हैं। इनसे रोज करीब 666 टन गैस का उत्पादन होगा। इन कंपनियों के जरिए प्रदेश में औसतन करीब सौ करोड़ रुपए का निवेश होगा और स्थानीय स्तर पर हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर प्रदेश में कृषि अपशिष्टों से बायोकोल बनाने की शुरूआत जनवरी में हो चुकी है। बहराईच जिले के रिसिया में विपुल इंडस्ट्री कृषि अपशिष्टों से फ्यूल ब्रिकेट पैलेट बनाकर नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) को आपूर्ति कर रही है। प्रदेश में सीबीजी प्लांट लगाने में आने वाली अड़चनों को दूर करने में यूपी नेडा कंपनियों की मदद कर रही है। इंडियन आयल ने इन कंपनियों से गैस खरीदने के लिए एमओयू किया है यानि इस बात की सिक्योरिटी दी गई है कि कंपनियों की ओर से तैयार किए गए गैस को आयल कंपनियां खरीद कर बेचेंगी। सीबीजी प्लांट लगाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से कंपनियों को सब्सिडी भी दी जा रही है।

‘किसानों के हित में उठाए गए इस कदम से जल्द ही दिखेंगे लाभ’
कृषि विभाग ने दूसरे राज्यों में संचालित सीबीजी प्लांट के एक्सपोजर विजिट के लिए प्रदेश से कृषि उत्पादक संघ (एफपीओ) के प्रतिनिधियों और कृषि विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों को 22 से 25 जुलाई के बीच भेजा था। इस दल में शामिल राम रतन अग्रवाल ने बताया कि हमारा दौरा बहुत ही लाभकारी रहा और हमें कई चीजें सीखने को मिलीं। हमने इंडस्ट्रियल टूर भी किया। प्रदेश में किसानों के हित में उठाए गए इस कदम से जल्द ही लाभ दिखने लगेंगे।

पराली के साथ 15 फीसदी गोबर भी मिलाया जाएगा
गोरखपुर के धुरियापार में इंडियन आयल कारपोरेशन लिमिटेड की तरफ से तीन सौ करोड़ की लागत से सीबीजी प्लांट लगाया जा रहा है। यह पराली पर आधारित है और इसमें 15 फीसदी गोबर भी मिलाया जाएगा। अफसरों का कहना है कि उनकी कोशिश है कि अगले साल मार्च से ट्रायल शुरू हो और जून से प्लांट संचालित हो जाए।

रोशनी से लेकर ग्रामीण इलाकों में खाना बनाने तक में होगा उपयोग
भारत करीब आठ लाख करोड़ रुपए का कच्चा तेल आयात करता है। सीबीजी प्लांट से कच्चे तेल पर निर्भरता घटेगी और सरकारी खजाने का पैसा बचेगा। अगले पांच साल में ग्रामीण इलाके के कचरे को इथेनॉल, बायोगैस और बायोडीजल में बदला जाएगा। इसका ग्रामीण इलाकों में खाना बनाने से लेकर रौशनी तक में उपयोग किया जाएगा। सरकार का ध्यान सीबीजी प्लांट पर इसलिए है, क्योंकि इससे एक साथ कई लाभ हैं। इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी, साफ-सफाई में मदद मिलेगी, जीवाश्म ईंधन जैसे कि पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होगी।

रिजर्व बैंक ने लोन को हरी झंडी दी
रिजर्व बैंक ने सीबीजी प्लांट को प्रायरिटी सेक्टर में रखा है, जिससे इसके निर्माण के लिए लोन आसानी से मिल सकेगा। स्टेट बैंक ने ऐसे प्लांट के लिए लोन स्कीम भी शुरू कर दी है। ऑयल कंपनियों ने 46 रुपए प्रति किलो के हिसाब से गैस के दाम भी तय कर दिए हैं, जो सीबीजी प्लांट से खरीदी जाएगी।

प्रदेश में इन जिलों में लग रहे सीबीजी प्लांट
प्रदेश में सीबीजी प्लांट बिजनौर, मेरठ, संभल, कुशीनगर, कन्नौज, लखनऊ, मुजफ्फरनगर, आगरा, बरेली, अयोध्या, सुल्तानपुर, फिरोजाबाद, झांसी, कानपुर, मीरजापुर, उन्नाव, सीतापुर, बलरामपुर, अमरोहा, हापुड़, बुलंदशहर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, सहारनपुर, बागपत, गाजियाबाद, शामली, शाहजहांपुर, लखीमपुर, गोंडा, पीलीभीत, मथुरा, मुरादाबाद, गोरखपुर, वाराणसी, बाराबंकी, संतकबीरनगर, बहराइच, प्रयागराज, बलिया, गाजियाबाद और ललितपुर जिले में लगाए जा रहे हैं। इसमें कई जिले ऐसे हैं, जहां दो-दो या तीन से अधिक भी प्लांट लगाए जा रहे हैं।