कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ चल रही लड़ाई के बीच शिवसेना ने मोदी सरकार पर करार प्रहार किया है। शिवसेना ने दावा किया है कि महामारी से निपटने के बजाय भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लगी हुई है। कोरोना से लड़ाई और लोगों के लिए जीवन यज्ञ महत्वपूर्ण न होकर एक बार फिर चुनावों को प्रमुखता मिल रही है। शिवसेना ने कहा है कि अभी पूरा ध्यान कोरोना के खिलाफ लड़ाई पर लगाने की जरूरत है, नहीं तो गंगा सिर्फ हिंदुओं की शववाहिनी बन जाएगी और दुनिया में हमारी बदनामी होगी।
अपने मुखपत्र ‘सामना’ में शिवसेना ने दावा किया है कि बंगाल का मिशन असफल होने के बाद मोदी-शाह और योगी ने मिशन उत्तर प्रदेश हाथ में ले लिया है, जिसके लिए रणनीति को लेकर मोदी-शाह ने एक साथ चर्चा की। शिवसेवा ने कहा कि उत्तर प्रदेश सहित अन्य चार राज्यों में करीब सालभर के बाद विधानसभा चुनाव होंगे, इसलिए बीजेपी काम में जुट गई है। शिवसेना ने तंज कसते हुए कहा कि बंगाल के चुनाव में वहां की जनता ने ‘बोरिया-बिस्तर’ समेटने को मजबूर कर दिया और अब यह बोरिया-बिस्तर उत्तर प्रदेश में फैलाने की तैयारी शुरू हो गई है।
शिवसेना ने पूछा कि देश की तमाम समस्याएं समाप्त हो गई हैं और कुछ बाकी ही नहीं है, इसलिए सिर्फ चुनाव की घोषणा करना, लड़ना और बड़ी-बड़ी सभाएं, रोड शो, करके उन्हें जीतना, इतना ही काम अब शेष बचा है क्या? संसदीय लोकतंत्र में चुनाव अपरिहार्य है, लेकिन वर्तमान माहौल चुनाव के लिए योग्य है क्या? शिवसेना ने आरोप लगाया कि मांग होती रही, मगर बंगाल के चुनाव 8 चरण तक खींच लिए गए, इससे सिर्फ बंगाल में ही नहीं, बल्कि देशभर में कोरोना का प्रसार हुआ। शिवसेना ने चुनाव आयोग पर भी हमला बोला। उद्धव की पार्टी ने कहा कि इसके लिए चुनाव आयोग पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज करके उन्हें फांसी पर क्यों नहीं लटकाया जाए?
सामना के संपादकीय में उत्तर प्रदेश के अंदर नदी में बहती लाशों को लेकर भी बीजेपी सरकार पर हमला बोला गया। शिवसेना ने सामना में लिखा कि उत्तर प्रदेश की अवस्था से दुनियाभर की आंखें डबडबा गई हैं। गंगा में शव बहकर आ रहे हैं, कानपुर से पटना तक गंगा किनारे लाशों के ढेर हैं। वहीं उन्हें दफन और दहन करना पड़ रहा है। शिवसेना ने कहा कि इसकी विदारक तस्वीरें दुनियाभर की मीडिया द्वारा छापे जाने से मोदी और उत्तर प्रदेश सरकार की कार्यक्षमता पर सवालिया निशान लगा। बीजेपी की छवि को नुकसान हुआ और अब बिगड़ी हुई छवि सुधारने और उत्तर प्रदेश में चुनाव जीतने के लिए चिंतन व मंथन हो रहा है।
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शिवसेना ने कहा कि गंगा के प्रवाह में बहकर आए शवों को फिर से जीवित नहीं किया जा सकता है। इस समय तो इन लाशों का विधिवत अंतिम संस्कार करने के लिए भी संघ परिवार के स्वयंसेवक आगे आते नहीं दिखे। वाराणसी में तो लाशें जलाने के लिए श्मशान में कतारें ही लगी हैं। सामना में लिखा गया कि गंगा में आज हिंदुओं की लाशें लावारिस अवस्था में बह रही हैं। ये लाशें भारतीय जनता पार्टी और उसके प्रमुख नेताओं की छवि को सियासी पराजय की ओर ढकेल रही हैं। शिवसेना ने कहा कि कोरोना से लड़ाई और लोगों के लिए जीवन यज्ञ महत्वपूर्ण न होकर एक बार फिर चुनावों को प्रमुखता मिल रही है। वास्तव में चुनाव आगे-पीछे होने से कोई आसमान नहीं फटेगा। फिलहाल पूरा ध्यान कोरोना के खिलाफ लड़ाई पर ही केंद्रित करने की आवश्यकता है, नहीं तो गंगा सिर्फ हिंदुओं की शववाहिनी बन जाएगी। दुनिया में हमारी बदनामी होगी।